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क्रिकेट में अक्सर वर्षा की वजह से दर्शकों का मजा किरकिरा हो जाता है। इससे लोगों का मनोरंजन तो अधूरा रह ही जाता है साथ ही खिलाड़ियों और टीमों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है। कई वर्ल्डकप मैचों में भारत के लिए बारिश ही कहीं न कहीं विलेन बन गई थी। साउथ अफ्रीका के लिए तो बारिश ने कई बार वर्ल्ड कप जैसे बड़े खिताब जीतने का सपना चूर चूर कर दिया है।

वर्तमान में भी एशिया कप के हालात देखें तो श्रीलंका में IND vs PAK के दो मैच बारिश की वजह से प्रभावित हुए हैं। क्रिकट की सबसे बड़ी राइवलरी में बारिश के ही कारण स्टेडियम खाली नज़र आ रहा था। बारिश ने क्रिकट के इतिहास में जब जब काम बिगाड़ा है तब तब लगभग हर किसी के दिमाग में एक बार तो ये सवाल जरूर आता है कि क्यों ऊपर से खुले हुए मैदान में मैच करवाया जाता है। अगर हम क्रिकेट के मैदान को ऊपर से किसी छत से ढक दें तो बारिश का कोई झंझट ही नहीं रहेगा। देखिये आपका कल्पना करना एकदम जायज है लेकिन इस खबर में हम आपको ऐसे चंद कारण बताएंगे जिनकी वजह से क्रिकट को इंडोर गेम यानी क्रिकट मैदान को रूफ टॉप या फिर पूरी तरह से पैक क्यों नहीं किया जा सकता है।

जानें मैदान को छत से क्यों नहीं ढका जा सकता

दरअसल एक साधारण इंटरनेशनल स्टेडियम बनाने में जितना खर्चा आता है उसपर छत लगाने या उसे ढकने में उससे दोगुना ज्यादा पैसा लग सकता है। अब हर क्रिकट बोर्ड इतना अमीर तो नहीं है कि स्टेडियम को छत से ढक सके। अब किसी बड़े टूर्नामेंट में किसी देश के पाँच बड़े स्टेडियम का इस्तेमाल किया जा रहा है और छत या स्टेडियम उसमें से सिर्फ एक ही है तो टीमों के साथ नाइंसाफी हो जाएगी। इसके अलावा उदाहरण के तौर पर अगर एक स्टेडियम में एक साल में तीन मैच होते हैं तो उसकी छत लगाने का पैसा पूरा करने में बोर्ड को 20 साल तक का वक्त लग सकता है।

क्रिकेट के अलावा किसी अन्य खेल जैसे बैडमिंटन या बॉल के स्टेडियम में रूफ की औसत हाईट 85 से 140 फीट तक देखी गई है। लेकिन क्रिकट में गेंद के आसमान में जाने पर खिलाड़ी कैच लपकने के लिए दौड़ा दौड़ा आ जाता है। हमने कई बार गेंद को डेढ़ 100 से 160 फीट तक की उंचाई प्राप्त करते हुए देखा है। ऐसे में गेंद की छत पर टकराने से गेंद किसी भी दिशा में जा सकती है। हो सकता है बाउंड्री के पार हो सकता है। बाउंड्री के पार जा रही गेंद स्टेडियम के अंदर ही वापस गिर जाए या फिर कैच होने वाली गेंद टकराकर बाउंड्री के पार चली जाए। अब आप अगर छत को ज्यादा ऊंचा बना भी लें तो दिक्कतों का सिलसिला अभी खत्म नहीं होता है।

नेचुरल घास पर खेलना इंजुरी फैक्टर को कम कर देता है। गेंदबाजों के लिए गेंद को मूव कराने में वातावरण मददगार साबित होता है। खासकर तेज गेंदबाजों के लिए हवा वरदान का काम करती है। ऐसे में अगर मैदान को चारों तरफ से ढक दिया जाए तो गेंदबाजों के लिए यह किसी बुरे सपने से कम नहीं होगा।

 

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