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Up Kiran, Digital Desk: केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को भारत-EFTA (यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन) व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (TEPA) को एक "ऐतिहासिक समझौता" बताया, जो द्विपक्षीय संबंधों को पूरी तरह से बदलने का वादा करता है. इस समझौते की सबसे बड़ी और खास बात EFTA देशों द्वारा भारत में 100 अरब डॉलर के निवेश की अभूतपूर्व प्रतिबद्धता है.

EFTA ब्लॉक में चार यूरोपीय देश शामिल हैं - स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन.

"दो दशकों का इंतजार खत्म, यह ऐतिहासिक पल है"

इस समझौते को लॉन्च करते हुए, गोयल ने कहा कि EFTA के साथ बातचीत दो दशकों से भी अधिक समय से चल रही थी, जिससे आज इसका संपन्न होना "वास्तव में एक ऐतिहासिक क्षण" बन गया है. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि अगर बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) से जुड़ी चिंताओं को हल कर लिया जाता है, तो EFTA ब्लॉक ने अतिरिक्त 150 अरब डॉलर के निवेश का भी वादा किया है, जिससे कुल निवेश 250 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.

पीयूष गोयल ने कहा, "यह एक अनोखा मुक्त व्यापार समझौता है जिसमें पहली बार निवेश की गारंटी को शामिल किया गया है. यह आपसी विश्वास को दर्शाता है और एक अधिक बराबरी की साझेदारी सुनिश्चित करता है. पूरे EFTA क्षेत्र की आबादी मेरे मुंबई के संसदीय क्षेत्र से भी कम है, फिर भी यह समझौता वैश्विक महत्व रखता है."

चॉकलेट और चाय, सैल्मन और मसाला

गोयल ने बड़े ही दिलचस्प अंदाज में इस साझेदारी को समझाते हुए कहा, "अगर स्विट्जरलैंड अपनी चॉकलेट से दुनिया में मिठास घोलता है, तो भारत अपनी चाय से इसमें मसाला डालता है. नॉर्वे हमें सैल्मन देता है, तो हम उसमें मसाला मिलाते हैं. लिकटेंस्टीन की वित्तीय विशेषज्ञता और भारत का विशाल बाजार, और आइसलैंड की जियोथर्मल तकनीक के साथ भारत का इनोवेशन, मिलकर दुनिया के बाजारों पर कब्जा कर सकते हैं."

भविष्य की साझेदारी का रोडमैप

गोयल ने जोर देकर कहा कि TEPA अस्थिर वैश्विक व्यापार के माहौल में "स्पष्टता और निश्चितता की जीत" है. उन्होंने सहयोग के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की भी पहचान की, जिनमें जीवन विज्ञान (life sciences), स्वच्छ ऊर्जा, सटीक इंजीनियरिंग, खाद्य प्रसंस्करण, जहाज निर्माण, नर्सिंग, प्रौद्योगिकी, AI, शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन शामिल हैं.

मंत्री ने यह भी बताया कि भारत में डेटा की लागत अमेरिका के मुकाबले सिर्फ 3% और वैश्विक औसत के 10% से भी कम है, जिससे भारत विनिर्माण और सेवाओं के लिए दुनिया के सबसे प्रतिस्पर्धी वातावरणों में से एक प्रदान कर सकता है.