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Up Kiran, Digital Desk: देश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक विशाल योजना को हरी झंडी दे दी है। सरकार ने देश भर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों को अपग्रेड करने और मेडिकल की पढ़ाई की क्षमता बढ़ाने के लिए ₹15,034 करोड़ के भारी-भरकम फंड को मंजूरी दी है। इस फैसले से न केवल डॉक्टर बनने का सपना देख रहे हजारों छात्रों के लिए नए रास्ते खुलेंगे, बल्कि देश के स्वास्थ्य ढांचे को भी एक नई मजबूती मिलेगी।

₹15,000 करोड़ से कितनी बढ़ेंगी सीटें?

यह महत्वाकांक्षी योजना केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना (CSS) के तीसरे चरण का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों की क्षमता को बढ़ाना है। इस फंड का इस्तेमाल निम्नलिखित तरीके से किया जाएगा:

PG (स्पेशलिस्ट) सीटें: स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए  5,000 नई पोस्ट-ग्रेजुएट (PG) सीटें बढ़ाई जाएंगी। इससे विभिन्न गंभीर बीमारियों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

यह पूरी योजना वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2028-29 तक लागू की जाएगी। कुल ₹15,034.50 करोड़ में से केंद्र सरकार का हिस्सा ₹10,303.20 करोड़ और राज्यों का हिस्सा ₹4,731.30 करोड़ होगा।

क्यों पड़ी इस योजना की ज़रूरत?

भारत में पिछले एक दशक में मेडिकल शिक्षा में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। देश में आज 808 मेडिकल कॉलेज हैं, जो दुनिया में सबसे ज़्यादा हैं, और इनकी कुल क्षमता 1,23,700 MBBS सीटों की है। पिछले 10 वर्षों में 69,352 MBBS और 43,041 PG सीटें जोड़ी गई हैं।

इसके बावजूद, मेडिकल सीटों की मांग और स्वास्थ्य सेवाओं की ज़रूरत के बीच एक बड़ा अंतर बना हुआ है। इस योजना का उद्देश्य इसी अंतर को पाटना है ताकि देश की वर्तमान और भविष्य की स्वास्थ्य ज़रूरतों को पूरा किया जा सके और स्वास्थ्य प्रणाली को और मज़बूत बनाया जा सके।

यह योजना मौजूदा सरकारी बुनियादी ढांचे का उपयोग करके कम लागत पर तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि देश को गंभीर विषयों में विशेषज्ञों की एक स्थिर आपूर्ति मिलती रहे।