Up Kiran, Digital Desk: ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़े गिरोह के खिलाफ पुलिस की ताबड़तोड़ छापेमारी ने विवादों को जन्म दिया है। इस ऑपरेशन में 119 लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। इन मौतों के बाद नागरिकों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए। साथ ही गवर्नर से इस्तीफे की मांग की गई है।
पुलिस की यह छापेमारी शहर के इतिहास में सबसे खतरनाक मानी जा रही है। रियो डि जेनेरियो के अधिकारियों ने दावा किया कि यह कार्रवाई मादक पदार्थ तस्करी करने वाले 'रेड कमांड' गिरोह के खिलाफ की गई थी, लेकिन मृतकों की संख्या और उनकी मृत्यु के तरीके ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों ने पुलिस पर एक खास समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने मृतकों की याद में सड़क पर शव रखकर विरोध जताया और पुलिस पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की।
सरकारी मुख्यालय के सामने भारी संख्या में लोग जमा हुए और नारे लगाए। उन्होंने ब्राजीलियाई झंडे के लाल रंग के साथ अपनी नाराजगी व्यक्त की। मृतकों के शवों की विकृति और चाकू के घावों के बारे में भी सवाल उठाए गए हैं। ब्राजील के उच्चतम न्यायालय, सांसदों और अभियोजकों ने गवर्नर कास्त्रो से इस अभियान की पूरी जानकारी देने को कहा है। कई नेताओं ने हैरान होकर पूछा कि आखिर पुलिस की कार्रवाई में इतनी बड़ी संख्या में लोग कैसे मारे गए। अधिकारियों ने पहले मृतकों की संख्या 60 बताई थी, लेकिन अब यह आंकड़ा कहीं अधिक हो गया है।
छापेमारी में लगभग 2,500 पुलिसकर्मियों और सैनिकों ने पेन्हा और कॉम्प्लेक्सो डी अलेमाओ इलाकों में अभियान चलाया था। एक स्थानीय निवासी, एलिसांगेला सिल्वा सैंटोस ने पेन्हा इलाके में कहा, "वे उन्हें गिरफ्तार कर सकते थे, उन्हें इस तरह मारने की क्या जरूरत थी? बहुत से लोग तो जिंदा थे और मदद के लिए पुकार रहे थे। हां, वे तस्कर हैं, लेकिन वे इंसान हैं।"
पुलिस और सैनिकों ने हेलीकॉप्टर, बख्तरबंद वाहनों और पैदल मार्च के जरिए ऑपरेशन को अंजाम दिया। इस दौरान शहर में तनाव की स्थिति बनी हुई है और पुलिस बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे।
ब्राजील में यह घटना न केवल मादक पदार्थों के तस्करी के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है, बल्कि पुलिस के असंवेदनशील रवैये और नागरिकों के अधिकारों के उल्लंघन पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है। अब देखना यह होगा कि गवर्नर और पुलिस विभाग इस मुद्दे को कैसे हल करते हैं और जनता के विश्वास को कैसे बहाल करते हैं।
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