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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ अधिनियम के विरोध में भड़की हिंसा ने कई परिवारों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इस हिंसा में कई लोगों पर हमला किया गया है। गोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास के परिवारों ने झारखंड में शरण ली है।

मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद गोविंद दास के परिवार के 13 सदस्यों ने अपनी जान बचाई। इसके लिए वो झारखंड भाग गए। परिवार ने झारखंड के साहिबगंज के राजमहल में शरण ली। मुर्शिदाबाद में नाश्ते की दुकान चलाने वाले गोविंद दास (72) और उनके 40 वर्षीय बेटे की हिंसा में मौत हो गई।

दोपहर में शुरू हुई हिंसा देर रात तक जारी रही। जब मालदा और बहरामपुर से सेनाएं वहां पहुंचीं, तब हिंसा पर काबू पाया जा सका। भीड़ ने पहले राष्ट्रीय राजमार्ग 34 को जाम कर दिया। जब पुलिस ने उन्हें हटाना शुरू किया तो पथराव शुरू हो गया। पुलिस ने फिर आंसू गैस छोड़ी। वहां लाठीचार्ज हुआ। दो दिन पहले मुर्शिदाबाद पुलिस पर हमला हुआ था। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने दो वाहनों में आग लगा दी। एनआरसी के दौरान भी मुर्शिदाबाद में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी।

इस परिवार के सदस्य हृदय दास ने बताया कि 12 अप्रैल को सुबह करीब 11 बजे करीब 500 दंगाइयों ने उनके चाचा और भाई को दुकान से खींचकर बाहर निकाला और धारदार हथियारों से उनकी बेरहमी से हत्या कर दी। इसके बाद दंगाइयों ने बाजार की सभी दुकानों और आसपास के 70 से 80 घरों में तोड़फोड़ की। इतना ही नहीं, उन्होंने महिलाओं के साथ भी दुर्व्यवहार किया।

शुक्रवार को सबसे पहले मुर्शिदाबाद के सुती में हिंसा भड़की। इसके बाद जंगीपुर से पुलिस बल मौके पर पहुंचा और स्थिति को नियंत्रण में लाने में जुट गया। इस बीच सुती से 10 किमी दूर शमशेरगंज से भी दंगे की खबर आई। पुलिस सुति में राजमार्ग पर जाम हटाने में लगी रही। पुलिस शमशेरगंज तक नहीं पहुंच सकी, जहां हिंसा जारी रही। ऐसी स्थिति में केंद्रीय बल, बीएसएफ को उतरना पड़ा, तब तक भारी नुकसान हो चुका था।