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Up Kiran, Digital Desk: जब भी क्रिकेट के इतिहास की बात होगी एक नाम हमेशा चमकता रहेगा – सचिन रमेश तेंदुलकर। जिन्हें ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में 'क्रिकेट का देवता' माना जाता है। उन्होंने 24 सालों तक बल्ले से ऐसा जादू दिखाया कि आज भी उनके आंकड़े प्रेरणा और अचंभे का विषय बने हुए हैं।

जब सचिन ने रचा था नया अध्याय

29 जून 2007 यही वो तारीख थी जब सचिन ने एकदिवसीय क्रिकेट में 15000 रन का आंकड़ा छूकर इतिहास रच दिया था। जगह थी बेलफास्ट और मुकाबला था दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ। उस दिन उन्होंने 93 रन की यादगार पारी खेली और अपने करियर की 387वीं वनडे पारी में ये मुकाम हासिल किया।

दिलचस्प बात ये है कि इतने सालों बाद भी ये रिकॉर्ड अटूट है। आज भी कोई बल्लेबाज़ इस जादुई आंकड़े के पास तक नहीं पहुँच सका।

वनडे क्रिकेट में 'मास्टर ब्लास्टर' का दबदबा

1989 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने वाले सचिन ने वनडे में 463 मैच खेले जिसमें उन्होंने 18426 रन बनाए। उनका बल्लेबाज़ी औसत 44.83 रहा जिसमें 49 शतक और 96 अर्धशतक शामिल हैं।

उनका सर्वोच्च स्कोर 200* एक समय पर वनडे क्रिकेट का पहला दोहरा शतक भी बना। एकदिवसीय क्रिकेट में रन बनाने का ये कीर्तिमान अब तक कोई छू नहीं पाया है।

टेस्ट क्रिकेट में भी रहा जलवा

टेस्ट फॉर्मेट में भी तेंदुलकर का प्रदर्शन बेमिसाल रहा। उन्होंने 200 टेस्ट में 15921 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 51 शतक और 68 अर्धशतक निकले।

उनकी सबसे बड़ी पारी नाबाद 248 रन आज भी क्रिकेट प्रेमियों के ज़ेहन में बसी हुई है।

गेंद से भी दिखाया कमाल

शायद कम लोग जानते हों कि सचिन एक कामचलाऊ स्पिनर भी थे। उन्होंने टेस्ट में 46 वनडे में 154 और टी20 में 1 विकेट लिया।

वर्ल्ड कप के मंच पर तेंदुलकर

छह वनडे विश्व कप (1992 से 2011 तक) खेलने वाले सचिन क्रिकेट की सबसे बड़ी प्रतियोगिता में भारत की उम्मीदों का केंद्र रहे। 2003 विश्व कप में उन्होंने 673 रन बनाकर 'गोल्डन बैट' अपने नाम किया हालांकि भारत को फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार मिली।

2011 में वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका को हराकर जब भारत ने विश्व कप जीता तो सचिन के करियर का सबसे बड़ा सपना पूरा हुआ। उनकी आँखों में खुशी के आंसू और कंधों पर पूरी टीम – वो पल आज भी हर क्रिकेट प्रेमी की यादों में ताज़ा है।

आखिरी सलाम 2013 में

16 नवंबर 2013 को वानखेड़े स्टेडियम में जब सचिन ने आखिरी बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को नमस्कार किया तो न सिर्फ मुंबई बल्कि पूरा देश भावुक हो गया। उनकी विदाई क्रिकेट इतिहास के सबसे भावुक क्षणों में से एक बन गई।

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