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Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान के श्रीगंगानगर और आसपास के इलाकों में अब युवाओं की विदेश जाने की चाह में तेजी से इजाफा हो रहा है। हर साल यहां लगभग 20 हजार पासपोर्ट आवेदन आते हैं, जिनमें से करीब 90 फीसदी युवा वर्ग के होते हैं। इस बढ़ते ट्रेंड ने इस क्षेत्र को एक नए बदलाव का सामना कराया है।

अगर आप श्रीगंगानगर के किसी गांव में जाएंगे, तो आपको वहां के घरों के बाहर नई कारें और ताजा पेंट किए मकान नजर आएंगे। ऐसा लगता है जैसे हर परिवार का एक सपना हो, ‘बच्चा विदेश में बस जाए।’ यह प्रवृत्ति इतनी बढ़ गई है कि अब गांवों में भी यह चर्चा आम हो गई है। किसी के घर में कोई नई चीज़ दिखती है तो लोग आसानी से समझ जाते हैं, ‘विदेश में बेटा अच्छा कमा रहा होगा।’

लेकिन क्या सिर्फ अच्छा कमाना ही है इस बदलाव का कारण? दरअसल, यहां के युवाओं में विदेश जाकर बसने का ख्वाब अब सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि ‘सेट लाइफ’ की दिशा में पहला कदम बन चुका है। खासकर सोशल मीडिया पर सफलता की कहानियां, विदेशी जिंदगी का आकर्षण और स्थानीय स्तर पर रोजगार के सीमित अवसर इस प्रवृत्ति को और बढ़ावा दे रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि जब घर में रोजगार के अच्छे मौके नहीं होते, तो युवा विदेश में जाकर अपने जीवन को नया दिशा देने की सोचते हैं। अब विदेश जाना उनके लिए किसी सपने से ज्यादा ‘सेट लाइफ’ की शुरुआत बन चुका है। परंतु इसका एक दूसरा पहलू भी है।

विदेश जाने के बाद जब ये युवा अपने परिवार से दूर रहते हैं, तो त्योहारों और पारिवारिक आयोजनों में घरवाले उन्हें केवल फोन पर ही देख पाते हैं। लेकिन इस सबके बावजूद, इन युवाओं के लिए विदेश जाना अब उनके भविष्य की ओर पहला कदम बन चुका है।