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Up kiran,Digital Desk : लंबे समय से धोखाधड़ी के एक मामले में फंसीं पूर्व विधायक शोभारानी कुशवाह को आखिरकार राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। कोर्ट ने उनके ऊपर चल रहे इस पूरे आपराधिक मामले को ही रद्द कर दिया है, यानी अब यह केस पूरी तरह से ख़त्म हो गया है।

यह मामला भरतपुर की निचली अदालत से शुरू हुआ था, जहाँ उन पर धोखाधड़ी, साजिश और भरोसे को तोड़ने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। लेकिन अब हाईकोर्ट ने निचली अदालतों के उन आदेशों को भी ख़ारिज कर दिया है।

चलिए समझते हैं, कोर्ट ने यह फ़ैसला क्यों लिया?

असल में, यह पूरा मामला एक कंपनी से जुड़ा था। शोभारानी के वकीलों ने हाईकोर्ट में कुछ बहुत ही सीधी और सरल दलीलें दीं:

  1. वो सिर्फ़ एक निवेशक थीं, मालकिन नहीं: वकीलों ने साफ़ कहा कि शोभारानी कंपनी के रोज़मर्रा के कामों में या मैनेजमेंट में शामिल नहीं थीं। वो सिर्फ़ एक शेयरहोल्डर (हिस्सेदार) थीं। और सिर्फ़ किसी कंपनी का शेयर ख़रीद लेने से आप उसके कामों के लिए अपराधी नहीं बन जाते।
  2. उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला: पुलिस की जाँच में भी ऐसी कोई बात सामने नहीं आई, जिससे यह साबित हो कि शोभारानी ने कुछ ग़लत किया है।
  3. मामला लेन-देन का था, धोखाधड़ी का नहीं: यह पूरा झगड़ा असल में पैसे के लेन-देन से जुड़ा था, जिसे सिविल मामला कहते हैं। इसे ज़बरदस्ती आपराधिक मामला बनाया जा रहा था।
  4. आपस में समझौता हो चुका था: सबसे बड़ी बात यह थी कि जिन लोगों ने शिकायत की थी, उनके और कंपनी के बीच पहले ही आपस में समझौता हो चुका था।

वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फ़ैसले का भी ज़िक्र किया, जिसमें कहा गया है कि अगर मामला मुख्य रूप से पैसे या व्यापार से जुड़ा हो और दोनों पार्टियाँ आपस में सुलह कर लें, तो उस पर आपराधिक केस चलाने का कोई मतलब नहीं रह जाता।

हाईकोर्ट ने इन सभी बातों को सही माना और कहा कि जब मामला ही सिविल प्रकृति का है और दोनों पक्षों में समझौता हो चुका है, तो इस पर आपराधिक केस को आगे चलाना न्याय का मज़ाक बनाने जैसा होगा।

इसी के साथ, कोर्ट ने शोभारानी कुशवाह पर चल रहे इस पूरे मामले को हमेशा के लिए बंद कर दिया।