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Up Kiran, Digital Desk: मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों के मामले में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2006 के उन घातक बम धमाकों से जुड़े सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है, जिन्होंने शहर को दहला दिया था।

इससे पहले, एक विशेष मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) अदालत ने इन सभी 12 लोगों को दोषी ठहराया था। इनमें से 5 को मौत की सज़ा और 7 को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी।

यह भीषण आतंकी हमला 11 जुलाई 2006 को हुआ था, जब मुंबई की लोकल ट्रेनों में सिर्फ सात मिनट के भीतर सात सिलसिलेवार धमाके हुए थे। इन धमाकों में 188 बेगुनाह लोगों की जान चली गई थी और 800 से अधिक घायल हुए थे।

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि ये धमाके आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के गुर्गों द्वारा किए गए थे।

बॉम्बे हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने इन सभी 12 आरोपियों की अपीलों पर सुनवाई की और उन्हें बरी करने का फैसला सुनाया।

यह फैसला 18 साल पुराने इस जघन्य मामले में एक बड़ा मोड़ है, जिसने मुंबई को हिलाकर रख दिया था। इस निर्णय के बाद पीड़ितों के परिवारों और आम जनता के मन में न्याय को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं, खासकर इतने लंबे कानूनी संघर्ष के बाद।

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