Up kiran,Digital Desk : पिथौरागढ़ में एक पुरानी कहावत सच होती दिखी- "उम्मीद पर दुनिया कायम है।" अजय जोशी नाम के एक युवक के लिए यह सिर्फ कहावत नहीं, बल्कि हकीकत बन गई है। पूरे 28 साल के लंबे इंतजार के बाद, अजय को अपने दादाजी के बैंक खाते में जमा पैसा मिलने की उम्मीद जगी है। यह सब मुमकिन हुआ 'आपकी पूंजी, आपका अधिकार' नाम के एक खास अभियान की वजह से।
क्या है अजय की कहानी?
अजय जोशी ने बताया कि उनके दादाजी, श्री बालकृष्ण जोशी, को पेंशन मिला करती थी, जो सीधे उनके बैंक खाते में जमा होती थी। साल 1997 में उनके दादाजी का निधन हो गया। उस समय परिवार के लोग खाते में जमा पैसों को निकाल नहीं पाए। धीरे-धीरे वक्त बीतता गया और लंबे समय तक कोई लेन-देन न होने की वजह से वह बैंक खाता बंद (निष्क्रिय) हो गया। अजय और उनका परिवार तो यह उम्मीद ही छोड़ चुका था कि यह पैसा अब कभी उन्हें मिल भी पाएगा।
लेकिन फिर एक दिन, अजय के पास बैंक से एक फोन आया। बैंक कर्मचारियों ने उन्हें 'आपकी पूंजी, आपका अधिकार' अभियान के बारे में बताया और कहा कि वे अपने दादाजी के पैसे वापस पा सकते हैं। यह सुनकर अजय की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने तुरंत शिविर में पहुंचकर पैसे वापस पाने के लिए आवेदन किया। आपको जानकर हैरानी होगी कि उनके दादाजी के खाते में करीब 3 लाख 80 हजार रुपये जमा हैं।
सिर्फ अजय ही नहीं, कई और लोगों को भी मिला फायदा
इस अभियान में सिर्फ अजय ही नहीं, बल्कि लक्ष्मण सिंह जैसे और भी कई लोग थे, जिन्हें अपने भूले हुए पैसों के बारे में याद दिलाया गया। लक्ष्मण सिंह ने बताया कि उनके खाते में 10 हजार रुपये जमा थे, जिसके बारे में वे भूल ही गए थे। उन्होंने भी इस शिविर का लाभ उठाया और अपने पैसे वापस पाने के लिए आवेदन किया है।
क्या है यह 'आपकी पूंजी, आपका अधिकार' अभियान?
यह अभियान लीड बैंक द्वारा चलाया जा रहा है, जिसका मकसद उन बैंक खातों को फिर से चालू करना है, जिनमें 10 साल से ज्यादा समय से कोई लेन-देन नहीं हुआ है। अक्सर लोग या तो ऐसे खातों के बारे में भूल जाते हैं या खाताधारक की मृत्यु के बाद परिवार को इसकी जानकारी नहीं होती।
लीड बैंक के अधिकारी एन.आर. जौहरी ने बताया कि पिथौरागढ़ जिले में ही ऐसे 1 लाख से ज्यादा खातों में करीब 30.54 करोड़ रुपये जमा हैं। बैंक अब तक 141 लोगों को उनके 47 लाख रुपये से ज्यादा की रकम लौटा चुका है।
यह अभियान उन लोगों के लिए एक नई उम्मीद बनकर आया है, जो यह मान चुके थे कि उनका पैसा अब डूब गया है। यह हमें यह भी सिखाता है कि अपने बैंक खातों और जरूरी कागजातों की जानकारी परिवार के साथ हमेशा साझा करनी चाहिए।
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