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Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक के समृद्ध इतिहास में एक नया और रोमांचक अध्याय जुड़ गया है। कोप्पल जिले के गंगावती तालुक में, एक 3000 साल पुरानी ताम्र पाषाण युगीन (कॉपर एज / चालकोलिथिक) गुफा चित्रकला और उसके साथ एक रहस्यमय शिलालेख की महत्वपूर्ण खोज हुई है।

हमपी स्थित कन्नड़ विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. एम. जी. मंजुनाथ ने इस दुर्लभ खोज को अंजाम दिया है। यह अविश्वसनीय कलाकृति गंगावती तालुक के हीरे बेनाकल गांव के पास 'सालु मरद गुहे' (पेड़ों की कतार वाली गुफा) या 'होसा नेरलीना गुहे' (नई छाया वाली गुफा) नामक एक गुफा के भीतर मिली है।

डॉ. मंजुनाथ के अनुसार, यह चित्रकला मानव आकृतियों को दर्शाती है, जिनमें लोग खड़े हुए, नृत्य करते हुए और एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए दिखाई देते हैं। चित्रकला की शैली बेहद सरल है, जिसमें ज्यामितीय आकृतियों और सीधी रेखाओं का कुशलता से उपयोग किया गया है, जो इस प्राचीन कलाकृति की विशिष्टता को बढ़ाती है।

चित्रकला के साथ ही एक शिलालेख भी मिला है, जिसकी लिपि अभी तक पूरी तरह से पढ़ी नहीं जा सकी है। हालांकि, डॉ. मंजुनाथ का मानना है कि यह ब्राह्मी लिपि के शुरुआती रूपों से मेल खाती दिखती है या संभवतः उससे भी पुरानी हो सकती है। इस शिलालेख का गूढ़ रहस्य पुरातत्वविदों और भाषाविदों के लिए एक नई चुनौती प्रस्तुत करता है।

हीरे बेनाकल अपने पुरातात्विक महत्व के लिए पहले से ही जाना जाता है, विशेषकर अपने महापाषाण स्मारकों के लिए, जो प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष हैं। लेकिन इस गुफा चित्रकला और शिलालेख की खोज ने इस क्षेत्र के इतिहास में एक नया आयाम जोड़ा है। यह खोज हमें ताम्र पाषाण युग के मानव जीवन, उनकी कलात्मक अभिव्यक्तियों और उनकी लिपिबद्ध परंपराओं के बारे में हमारी समझ को और गहरा करने में मदद करेगी। यह भारतीय पुरातत्व और प्राचीन इतिहास के शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।

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