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जांच एजेंसियों को जानकारी मिली है कि 8 महीने पहले जेएनपीटी पोर्ट में मिली 363 करोड़ रुपये की हेरोइन तस्करी के धागे मुंबई, पंजाब, दिल्ली से सीधे पाकिस्तान, जर्मनी पहुंचते थे। इस तस्करी के पीछे एक अज्ञात अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया कार्टेल का हाथ है और इस बंदरगाह से हेरोइन को पहले दिल्ली और वहां से पंजाब पहुंचाने की योजना थी। हालांकि जांच एजेंसियां ​​दोनों मुख्य आरोपियों तक पहुंचने में नाकाम रही हैं।

सीमा शुल्क विभाग के खुफिया अफसरों के अनुसार, पाकिस्तान और जर्मनी के दो ड्रग सिंडिकेट को एक अज्ञात अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया समूह द्वारा भारत में हेरोइन पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उसके लिए भारत के एक बड़े व्यक्ति से रकम भी ली गई थी। हालांकि जांच एजेंसियों के हाथ अभी इस संबंध में जानकारी नहीं पहुंची है।

अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया ने पाकिस्तान के आईएसआई के ड्रग सिंडिकेट आदिल शाह के साथ जेएनपीटी बंदरगाह पर इस बहु-करोड़ हेरोइन स्टॉक को उतारने और इसे दिल्ली, पंजाब तक पहुंचाने के लिए अनुबंध किया। पकड़े जाने से बचने के लिए उसने हेरोइन को कंटेनरों के दरवाजों में छिपे डिब्बों में छिपा दिया। कंटेनरों को संगमरमर की टाइलों से भरकर न्हावा-शेवा बंदरगाह भेजा गया। जब यह कंटेनर दिल्ली पहुंचा तो नशीले पदार्थ को पंजाब तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अंतरराष्ट्रीय माफिया ने जर्मनी में रहने वाले एक अन्य सिंडिकेट के सदस्य मोनू सिंह उर्फ ​​मनी को सौंपी थी। मोनू सिंह जालंधर के रहने वाले हैं।

पाकिस्तान में मुख्य आरोपी?

जांच एजेंसियों की जानकारी के अनुसार इस केस में अब तक अरेस्ट छह आरोपी सिर्फ मोहरे हैं। मुख्य आरोपी पाकिस्तान ड्रग माफिया आदिल शेख और जर्मनी के मोनू सिंह उर्फ ​​मणि को अरेस्ट नहीं किया जा सका है क्योंकि रिकॉर्ड में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। ये दोनों फरार मुख्य आरोपी ही बता सकते हैं कि इन्हें यह ठेका किसने दिया।

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