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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय क्रिकेट टीम के तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी को पारिवारिक विवाद के एक लंबे अध्याय में एक और बड़ा झटका लगा है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 1 जुलाई को एक अहम आदेश पारित करते हुए उन्हें अपनी पूर्व पत्नी हसीन जहां और बेटी के लिए कुल ₹4 लाख मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया है। कोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर इस चर्चित विवाद को सुर्खियों में ला दिया है, जिसकी शुरुआत 2018 में हुई थी।
हाई कोर्ट का संशोधित आदेश: पत्नी को ₹1.5 लाख, बेटी को ₹2.5 लाख
न्यायमूर्ति अजय कुमार मुखर्जी की एकल पीठ ने जिला सत्र न्यायालय के पहले के फैसले में संशोधन करते हुए कहा कि शमी की वर्तमान आय और वित्तीय स्थिति को देखते हुए, वह अधिक गुजारा भत्ता देने की स्थिति में हैं। पहले शमी को पत्नी को ₹50,000 और बेटी को ₹80,000 प्रतिमाह देने का आदेश था। अब कोर्ट ने इसे बढ़ाकर क्रमशः ₹1.5 लाख और ₹2.5 लाख कर दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि बेटी की शिक्षा और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शमी अतिरिक्त रूप से सहयोग कर सकते हैं, यदि वे चाहें।
हसीन जहां ने की थी ₹10 लाख मासिक भत्ते की मांग
हसीन जहां ने कोर्ट में अपनी याचिका में कुल ₹10 लाख मासिक भत्ते की मांग की थी—जिसमें ₹7 लाख खुद के लिए और ₹3 लाख बेटी के लिए शामिल थे। हालांकि, निचली अदालत ने उनकी मांग को खारिज करते हुए कम राशि तय की थी, जिसके खिलाफ उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील की थी।
हाई कोर्ट ने यह मानते हुए कि जहां इस समय अविवाहित हैं और अपनी बेटी के साथ स्वतंत्र रूप से जीवन यापन कर रही हैं, कहा कि उन्हें वैसा ही जीवन स्तर मिलना चाहिए जैसा उन्होंने वैवाहिक जीवन के दौरान भोगा। यह समान भरण-पोषण के सिद्धांत के अनुरूप है, जो भारतीय पारिवारिक कानूनों में मान्य है।
न्यायालय ने शमी की कमाई को आधार माना
कोर्ट ने शमी की घोषित आय, विज्ञापन करारों और बीसीसीआई के साथ उनके करार को देखते हुए यह निर्णय दिया कि वे उच्च भत्ते का भुगतान करने में सक्षम हैं। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता पत्नी और उनकी बेटी के जीवन की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना न्यायसंगत है, खासकर जब तक मुख्य याचिका का निपटारा नहीं हो जाता।
रिश्ते में दरार: 2018 से जारी है कानूनी लड़ाई
मोहम्मद शमी और हसीन जहां की शादी 2014 में हुई थी, लेकिन 2018 में उनके रिश्तों में कड़वाहट आ गई। मार्च 2018 में हसीन जहां ने जादवपुर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराते हुए शमी और उनके परिवार पर घरेलू हिंसा और मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए थे।
उन्होंने दावा किया था कि न सिर्फ उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, बल्कि उनकी नाबालिग बेटी की देखभाल में भी लापरवाही बरती गई। इसके साथ ही, उन्होंने दहेज उत्पीड़न और यहां तक कि मैच फिक्सिंग जैसे आरोप भी लगाए, जिसके चलते बीसीसीआई ने कुछ समय के लिए शमी का केंद्रीय अनुबंध रोक दिया था। हालांकि, बाद में शमी को भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी कर दिया गया।
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