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Up Kiran, Digital Desk: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में बुधवार को एक ऐतिहासिक घटना घटी, जब 12 महिलाओं समेत कुल 41 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इन नक्सलियों में कुछ ऐसे थे, जिनपर 1.19 करोड़ रुपये का इनाम था। आत्मसमर्पण के बाद, इन नक्सलियों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास जताया और सरकार की पुनर्वास नीति के तहत मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया।

क्या है "पूना मार्गम" योजना?

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों ने बस्तर रेंज पुलिस की "पूना मार्गम" योजना से प्रेरित होकर हथियार डाले। यह योजना नक्सलियों के पुनर्वास और सामाजिक पुन: एकीकरण के लिए बनाई गई है। बीजापुर के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि सरकार की नई आत्मसमर्पण नीति ने कई नक्सलियों को हिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए प्रेरित किया।

कौन-कौन थे आत्मसमर्पण करने वाले?

आत्मसमर्पण करने वाले 41 नक्सलियों में 32 ऐसे थे, जिनके सिर पर इनाम घोषित था। इनमें से 4 पीएलजीए बटालियन नंबर 1 के सदस्य, 11 प्लाटून और एरिया कमेटी के सदस्य और 6 मिलिशिया प्लाटून के सदस्य थे। इन नक्सलियों में 39 माओवादी दंडकारण्य क्षेत्रीय समिति से जुड़ी हुईं थीं। इस आत्मसमर्पण से नक्सली संगठन को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि इसमें कई शीर्ष कमांडर भी शामिल थे।

इनाम की राशि और पुनर्वास योजना

आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में से कुछ पर 8 लाख रुपये का इनाम था। इनमें से 9 माओवादी जैसे पंडरू हपका उर्फ मोहन, बंदी हपका और लक्खू कोर्सा पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था। अन्य पर 1 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का इनाम था। राज्य सरकार की पुनर्वास योजना के तहत प्रत्येक माओवादी को 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई।

2024 में अब तक 790 माओवादी मुख्यधारा में लौट चुके हैं

जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि जनवरी 2024 से अब तक 790 माओवादी हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौट चुके हैं। उन्होंने बाकी बचे माओवादी कैडरों से भी हिंसा का रास्ता छोड़ने और समाज में सम्मानजनक जीवन जीने की अपील की।

सुरक्षित भविष्य के लिए "पूना मार्गम" अभियान

एसपी यादव ने कहा, "हमारा उद्देश्य है कि माओवादी हिंसा छोड़कर समाज में बिना किसी भय के लौटें। 'पूना मार्गम' अभियान उनके लिए एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर भविष्य सुनिश्चित करता है।"