Up kiran,Digital Desk : दुनिया की निगाहें एक बार फिर रूस की राजधानी मॉस्को पर जा टिकी हैं, जहाँ रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए एक नई उम्मीद ने दस्तक दी है। यह उम्मीद लेकर आए हैं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने जंग रोकने के लिए 28-सूत्रीय शांति योजना पेश की है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह योजना वाकई काम करेगी?
इस सवाल का जवाब खोजने के लिए ट्रंप के खास दूत स्टीव विटकॉफ और उनके दामाद जैरेड कुशनर ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। यह कोई छोटी-मोटी मीटिंग नहीं थी, बल्कि बंद दरवाजों के पीछे पूरे पांच घंटे तक बातचीत चली। लेकिन इतने लंबे मंथन के बाद भी नतीजा जस का तस है।
तो आखिर 5 घंटे की मीटिंग में हुआ क्या?
मीटिंग के बाद पुतिन के सहायक यूरी उशाकोव ने बताया कि बात तो बहुत हुई, लेकिन कोई समझौता नहीं हो सका। उन्होंने कहा, "ट्रंप के प्रस्ताव में कुछ बातें तो ऐसी हैं, जिन्हें रूस मान सकता है, लेकिन कई बातें ऐसी भी हैं जो हमारे हितों के खिलाफ हैं।"
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस बातचीत से शांति की उम्मीदें टूटी नहीं हैं, बल्कि दोनों पक्षों को लगता है कि आगे सहयोग की बहुत संभावनाएं हैं। मतलब, दरवाजा पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है।
एक तरफ शांति की मेज, दूसरी तरफ जंग की तैयारी?
इस कहानी में सबसे दिलचस्प मोड़ तब आया, जब इस मीटिंग से कुछ ही घंटे पहले पुतिन ने एक मंच से यूरोप को सीधी चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा, "हम यूरोप से जंग नहीं चाहते, लेकिन अगर वो टकराव का रास्ता चुनेंगे, तो हम मुकाबले के लिए पूरी तरह तैयार हैं।"
पुतिन ने यह भी आरोप लगाया कि यूरोप के नेता ही शांति की कोशिशों में अड़ंगा डाल रहे हैं और ट्रंप के शांति प्रयासों को आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं।
यूक्रेन और यूरोप क्यों हैं नाराज़?
दरअसल, ट्रंप ने जो 28-सूत्रीय प्लान भेजा है, यह उसका बदला हुआ रूप है। शुरुआती ड्राफ्ट को यूक्रेन और यूरोपीय देशों ने यह कहकर खारिज कर दिया था कि यह रूस के प्रति कुछ ज़्यादा ही नरम है। उनकी आपत्तियों के बाद ही इसमें बदलाव किए गए।
उधर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की इस समय आयरलैंड में हैं और यूरोप का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने साफ-साफ कहा, "बातचीत से अब काम नहीं चलेगा, हमें ठोस नतीजे चाहिए। हम हर रोज़ अपने लोगों की जान गंवा रहे हैं।"
कुल मिलाकर, स्थिति बहुत नाजुक है। एक तरफ ट्रंप की शांति की कोशिशें हैं, दूसरी तरफ पुतिन की चेतावनी, और इन सबके बीच यूक्रेन की लड़ाई जारी है। शांति की बातें तो हो रही हैं, लेकिन जंग के बादल अब भी गहरे हैं।
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