
Up Kiran, Digital Desk: आज, जब भारत उस काले दिन को याद कर रहा है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा की थी, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने गंगटोक में 'संविधान हत्या दिवस' रैली का नेतृत्व किया। यह आयोजन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास के उस कठिन दौर को याद करने और भविष्य के लिए सबक सीखने के उद्देश्य से किया गया।
मुख्यमंत्री तमांग ने 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक 'काला अध्याय' बताया। उन्होंने इस दिन को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में चिह्नित करते हुए कहा कि यह घटना हमें सिखाती है कि सत्ता का दुरुपयोग कैसे लोकतंत्र को कुचल सकता है और नागरिकों की स्वतंत्रता को छीन सकता है।
इस रैली में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता और आम जनता ने बड़ी संख्या में भाग लिया। मुख्यमंत्री ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह रैली केवल अतीत को याद करने के लिए नहीं है, बल्कि वर्तमान में भी लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए हमें सतर्क रहने की याद दिलाती है। उन्होंने जोर दिया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता और असहमति का अधिकार किसी भी जीवंत लोकतंत्र के लिए अनिवार्य हैं।
यह रैली एक ऐसे समय में हुई है जब राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दल भी आपातकाल की बरसी मना रहे हैं, लेकिन एक सत्ताधारी मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह का आयोजन करना, लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। तमांग ने कहा कि 'संविधान हत्या दिवस' हमें भविष्य के लिए सबक देता है और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे काले दिन हमारे लोकतंत्र में कभी वापस न आएं।
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