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Up Kiran, Digital Desk: गाज़ा पट्टी एक बार फिर युद्ध की आग में जल रही है। हालात इतने भयावह हैं कि बच्चों की मासूम चीखें तक अब दुनिया को झकझोर रही हैं। शनिवार को हुए इजरायली हमलों में कम से कम 70 फिलिस्तीनी नागरिकों की जान चली गई, जिनमें सात बच्चे भी शामिल हैं। ये बच्चे महज़ दो महीने से लेकर आठ साल की उम्र के थे।
2 महीने की बच्ची से लेकर 8 साल के मासूम तक, सभी लहूलुहान
गाज़ा सिटी के तुफाह इलाके में एक रिहायशी इमारत पर हुए हमले ने 18 लोगों की ज़िंदगी खत्म कर दी। वहीं, दक्षिणी गाज़ा स्थित अल मवासी के एक शिविर पर हुए हमले में दो बच्चे मारे गए और आठ अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए। आम लोगों के लिए हर दिन ज़िंदगी और मौत का खेल बन गया है।
ट्रंप का प्रस्ताव, लेकिन ज़मीन पर दिखा नहीं असर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि हमास ने कुछ शर्तों को मान लिया है और अब युद्धविराम तुरंत प्रभाव से लागू होना चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि इजरायल ने बमबारी रोक दी है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
विस्थापन की त्रासदी: लाखों बेघर, राहत की कोई उम्मीद नहीं
गाज़ा की तकरीबन 10 लाख की आबादी को हाल के हफ्तों में अपना घर छोड़ना पड़ा है। लोग खाने, पानी और दवाई जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए दर-दर भटक रहे हैं। अस्पताल भर चुके हैं, शवगृहों में जगह नहीं बची।
बंधकों की रिहाई और कैदियों की डील पर टिकी है शांति
ट्रंप का मानना है कि युद्धविराम की शुरुआत होते ही बंधकों की अदला-बदली होगी। हमास की मांग है कि बदले में इजरायल को 2000 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करना होगा। दूसरी ओर, इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने साफ कर दिया है कि हमास को हथियार छोड़ने होंगे, तभी बात आगे बढ़ेगी।
गिनती डराती है: 67,000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत
गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, अब तक इस संघर्ष में 67,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। हाल ही में मृतकों की सूची में 700 से ज्यादा नाम और जोड़े गए हैं, जिनकी पुष्टि हो चुकी है।