
china maldives relations: मालदीव और चीन के बीच समुद्र से रासायनिक और भौतिक डेटा एकत्र करने तथा हिंद महासागर में मछलियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उपकरण लगाने पर चर्चा चल रही है। दोनों देशों में ये चर्चाएं ऐसे समय में हो रही हैं जब मालदीव में मछली पकड़ने का उद्योग संकट में है। मालदीव के मत्स्य पालन एवं समुद्री अनुसंधान मंत्री अहमद ने हाल ही में चीन के द्वितीय समुद्र विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। बैठक में समुद्री अनुसंधान और सहायता बढ़ाने पर चर्चा की गई।
चीनी अफसरों ने मालदीव के पर्यटन मंत्रालय, पर्यावरण और मौसम विभाग के अफसरों के साथ बैठक की। मालदीव सरकार ने इस बैठक में हुई चर्चाओं के बारे में कोई जानकारी जारी नहीं की है। जहाज के मालदीव पहुंचने के बाद भारत ने चिंता व्यक्त की थी, क्योंकि मालदीव भौगोलिक दृष्टि से भारत के निकट का देश है।
रिपोर्ट के अनुसार, मालदीव सरकार ने चीनी अनुसंधान उपकरणों की स्थापना के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है, लेकिन यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ये उपकरण समुद्री पर्यावरण और मछलियों की गतिविधियों पर डेटा एकत्र करेंगे। मालदीव भारत के लक्षद्वीप से 70 समुद्री मील दूर है। यह हिंद महासागर व्यापार मार्ग का केंद्र है। इस मामले में चीन की गतिविधियां भारत के लिए चिंता का विषय हैं। लक्षद्वीप में एक भारतीय सैन्य अड्डा है। दिलचस्प बात यह है कि मालदीव ने भारत के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए थे, लेकिन मोहम्मद मुइज्जू ने 2023 में राष्ट्रपति बनने पर इस समझौते को रद्द कर दिया।
चीन का लक्ष्य भारत पर जासूसी करना
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन और मालदीव के बीच यह समझौता भारत पर जासूसी करने की चीन की मंशा हो सकती है। चीन पर अब तक का सबसे बड़ा आरोप यह है कि चीन अपनी तकनीक का इस्तेमाल दूसरे देशों की जासूसी करने के लिए करता है। एक विशेषज्ञ ने कहा कि मालदीव द्वारा चीन को यह अवसर देना एक बड़ी समस्या है।