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Up Kiran, Digital Desk: भारत आज सुरक्षा चुनौतियों के बीच दो मोर्चों पर खड़ा है पाकिस्तान के साथ हालिया विवादित घटनाक्रम और सीमावर्ती तनाव, साथ ही चीन की बढ़ती ताकत। इन परिस्थितियों ने वायुसेना, नौसेना तथा थल सेना को सशक्त करने की प्रबल आवश्यकता पैदा कर दी है। इसी संदेश के साथ रक्षा खरीद प्रक्रियाओं को सरल और तीव्र बनाया जा रहा है। विशेषकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद से वातावरण काफी बदल चुका है।

चीन ने पाकिस्तान के लिए पाँचवीं पीढ़ी के युद्धक विमान उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है, जिससे भारत के सामने अपनी वायुशक्ति को अपडेट करने का दबाव पैदा हुआ। रिपोर्टों के अनुसार, भारत अमेरिकी F‑35 या रूसी Su‑57 ई जैसे लड़ाकू विमानों की तत्काल खरीद पर विचार कर रहा है, मगर कुछ एक्सपर्ट रशियन मॉडल को लागत, तकनीकी हस्तांतरण व लॉजिस्टिक्स में प्राथमिकता देने का सुझाव दे रहे हैं।

इसी दौरान भारत स्थानीय तौर पर उन्नत विमानों के विकास में भी तेजी ला रहा है डीआरडीओ और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सहयोग से तैयार हो रहा एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) पाँचवीं पीढ़ी का लक्षित फाइटर जेट है। साथ ही तेजस Mk1A का उत्पादन शुरू हो चुका है, जो कि 4.5 पीढ़ी का आधुनिक मल्टीरोल जेट है।

जानें तेजस का पहली बार कब हुआ था सौदा

तेजस Mk1A की पहली खरीद 2021 में 83 जेट के लिए हुई थी, जिसकी कीमत लगभग 48 हजार करोड़ थी। अब इसके अतिरिक्त 97 और विमानों की खरीद के लिए 67 हजार करोड़ रुपए की डील भी पक्की हो गई है। यह जेट GE के F404-IN20 इंजन से लैस है, जिस वजह से शुरू में योजना की डिलीवरी लगभग 16 महीनों तक विलंबित रही। हालांकि अब इसे हल करने के प्रयास तेज़ किए जा रहे हैं और जुलाई से फ्लाइट परीक्षण शुरू होने की तैयारी है।

राष्ट्रीय सुरक्षा का नजरिया अपनाने के तहत फ्रांस से 36 राफेल भी खरीदे गए हैं, जिन्हें बाद में नौसेना हेतु अतिरिक्त अपडेटेड मॉडल में बदलने की योजना बन रही है। अब यह भी तय हो गया है कि राफेल में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल फिट की जा सकेगी, वही तेजस Mk1A में यह पहले से संभव है।

तेजस Mk1A की उड़ान क्षमता 1.8 मैक यानी लगभग 2,222 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक है। यह BVR मिसाइलों (बियॉन्ड विज़ुअल रेंज) के साथ-साथ हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों प्रकार की मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है। AESA रडार तकनीक इसे दुश्मन विमानों के मुकाबले बहुत प्रभावशाली बनाती है।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, HAL इस साल अंत तक 12 Mk1A विमानों को वायुसेना को सौंपेगा। यह उत्पादन तीन संयंत्रों दो बेंगलुरु में और एक नासिक में में किया जा रहा है, जिनकी वार्षिक उत्पादन क्षमता कुल 24 जेट तक तय की गई है। तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ मुकाबलों में यह विमान अमेरिकी F‑16 से भी कहीं आगे है, विशेषकर एवियोनिक्स और रडार क्षमताओं के क्षेत्र में।

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