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जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड (Gensol Engineering Ltd.) में प्रबंधन स्तर पर संकट गहराता जा रहा है। कंपनी के दो और स्वतंत्र निदेशकों हर्ष सिंह और कुलजीत सिंह पोपली ने गुरुवार को इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले बुधवार को अरुण मेनन भी स्वतंत्र निदेशक पद से इस्तीफा दे चुके हैं।

धन के दुरुपयोग के आरोपों के बीच उठाया गया कदम

रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार, ये इस्तीफे उस समय आए हैं जब कंपनी पर फंड डायवर्जन और उच्च ऋण लागतों के साथ बैलेंस शीट के गलत इस्तेमाल के गंभीर आरोप लगे हैं। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अरुण मेनन ने अपने इस्तीफे में कंपनी के वित्तीय संचालन और बैलेंस शीट की स्थिति पर चिंता जाहिर की थी।

इस्तीफा देने के पीछे पेशेवर मजबूरियों का हवाला

हर्ष सिंह ने अपने इस्तीफे में कहा कि वह जानते हैं कि उन्होंने यह निर्णय ऐसे समय में लिया है जब कंपनी एक मुश्किल दौर से गुजर रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी पेशेवर प्रतिबद्धताएं कंपनी में योगदान देने में बाधा बन रही हैं और इसीलिए वह अपना पद छोड़ रहे हैं।

वहीं, कुलजीत सिंह पोपली ने मीडिया में कंपनी से संबंधित हालिया रिपोर्टों को लेकर निराशा जताई और कहा कि वह वर्तमान हालात से दुखी हैं।

SEBI ने लगाया कंपनी और प्रमोटरों पर बैन

इन इस्तीफों की पृष्ठभूमि में सबसे बड़ा कारण है भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा कंपनी और इसके प्रमोटरों पर लगाया गया प्रतिबंध। मंगलवार को SEBI ने कंपनी पर फंड डायवर्जन और कॉर्पोरेट गवर्नेंस की चूक के मामलों में तत्काल प्रभाव से प्रतिभूति बाजार में कारोबार करने पर रोक लगा दी थी।

SEBI ने साथ ही:

जेनसोल इंजीनियरिंग को स्टॉक विभाजन जैसी घोषणाओं पर रोक लगाई है।

प्रमोटरों अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद संभालने से भी रोक दिया है।

निगरानी और जवाबदेही पर उठते सवाल

हर्ष सिंह ने कहा कि उन्हें बीते महीने कुछ सकारात्मक बदलावों की उम्मीद थी, लेकिन जिस तरह से घटनाएं सामने आई हैं, उनके लिए कंपनी में बने रहना संभव नहीं है। वहीं, पोपली ने उम्मीद जताई कि कंपनी में उठे गवर्नेंस से जुड़ी समस्याओं का समाधान जल्द निकलेगा।

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