
हिमालय की छांव में बसे कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के बीच एक खास दृश्य देखा जाता है—जिसे भक्त ‘शिवलिंग का दूध से नहाना’ कहते हैं। यह दृश्य तब उभरता है जब लेंटिकुलर बादल पर्वतों के चारों ओर घूमने लगते हैं और नीचे झील की सफ़ेदी से मेल कर उसे दूध-बैठ जैसा रूप देते हैं।
तिब्बत के अली पुलान से लौटते समय कैलाश पर्वत का एक और दर्शन… सफ़ेद बादलों के बीच लग रहा है शिवलिंग दूध से नहाए हुए हैं ???? pic.twitter.com/NUOUAbyKea
तिब्बत के अली पुलान से लौटते समय कैलाश पर्वत का एक और दर्शन… सफ़ेद बादलों के बीच लग रहा है शिवलिंग दूध से नहाए हुए हैं ???? pic.twitter.com/NUOUAbyKea
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) June 27, 2025
बादलों की अनूठी बनावट
लेंटिकुलर बादल खास होते हैं—ये लेन्स या यूआई आकार के बने होते हैं। जब हिमालय की ऊँची चोटियों के ऊपर ये बादल सजते हैं, तब ऐसा लगता है जैसे सफेद बादल शिवलिंग पर दूध की चादर बिछा रहे हों। यह दृश्य भक्तों को दिव्य अनुभूति दिलाता है ।
आध्यात्मिक अनुभव
मान्यता है कि कैलाश परमात्मा शिव का धाम है। इसलिए जब बादलों का यह दिव्य संगम सामने आता है, तो भक्तों को लगता है कि शिव स्वयं प्रकृति के माध्यम से दर्शन दे रहे हैं । मानसरोवर झील और कैलाश पर्वत का मिलन आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र बताया गया है ।
ध्यान देने की बात
हालांकि कुछ वीडियो वायरल होते हैं, लेकिन ज्यादातर वास्तविक दृश्यों को प्रकृति बनाती है। परंतु AI के ज़रिये कुछ वीडियो बनाए गए, जिन्हें वास्तविक समझकर भ्रम न हो—इनका सचेत रहना ज़रूरी है ।
कैलाश मानसरोवर यात्रा: आध्यात्मिक सफ़र
यह यात्रा न केवल तीर्थयात्रा है, बल्कि आत्मा की शुद्धि की ओर एक मार्ग भी है। यहाँ की ताज़ी हवा, शांति भरा वातावरण, और पर्वतीय दृश्य भक्तों को आध्यात्मिक शांति देते हैं। मानसरोवर झील में स्नान करने या झील किनारे ध्यान लगाने का अपना अलग ही महत्व है
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