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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में एक और खूबसूरत पेशकश के लिए तैयार हो जाइए! शेमारूमी (ShemarooMe) पर 14 अगस्त को, यानी स्वतंत्रता दिवस के सप्ताहांत पर, एक दिल को छू लेने वाला गुजराती ड्रामा "मिठाडा महेमन" (Mithada Maheman) का डिजिटल प्रीमियर होने जा रहा है। यह फिल्म चार ऐसे व्यक्तियों की कहानी बयां करती है, जिनकी जिंदगी नियति के हाथों एक-दूसरे से टकराती है, और कैसे वे एक-दूसरे के प्रति दया, सहानुभूति और स्वीकृति के माध्यम से बदलते हैं। यह इमोशनल ड्रामा रिश्तों की गहराई और मानवीय भावनाओं के अनूठे सफर को दर्शाता है।

'मिठाडा महेमन' की कहानी: जब नियति मिलाती है बिछड़े राहों को

चिन्मय परमार द्वारा निर्देशित, "मिठाडा महेमन" की कहानी चार ऐसे लोगों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अप्रत्याशित रूप से एक-दूसरे के जीवन में प्रवेश करते हैं। यह फिल्म दर्शाती है कि कैसे बाहरी दुनिया की भागदौड़ में हम अक्सर अपने अंदरूनी भावनात्मक लड़ाइयों से जूझते रहते हैं। फिल्म का मुख्य पात्र आदित्य (Yash Soni द्वारा अभिनीत), एक ऐसा युवा है जो अपने अंदरूनी दर्द से जूझ रहा है और सब कुछ छोड़ने के कगार पर है। इसी मोड़ पर उसकी मुलाकात हरी (Mihir Nishith Rajda द्वारा अभिनीत) से होती है, जो एक गर्मजोशी भरा टैक्सी ड्राइवर है। हरी, आदित्य को एक अनियोजित रोड ट्रिप पर ले जाता है, जो अंततः उसके हीलिंग का मार्ग बन जाती है।

यह यात्रा यहीं नहीं रुकती। आदित्य और हरी के साथ जल्द ही दो और लोग जुड़ जाते हैं – कोमल (Aarohi Patel द्वारा अभिनीत), जिसकी शांत और स्थिर उपस्थिति आदित्य को भावनात्मक स्पष्टता प्रदान करती है, और जय (Mitra Gadhavi द्वारा अभिनीत), जिसका हास्य उसके अंदर छिपे गहरे दर्द को छुपाता है। खूबसूरत हिल स्टेशनों, शांत राजमार्गों और चाय की दुकानों से गुजरते हुए, ये चारों पात्र धीरे-धीरे एक भावनात्मक परिवर्तन से गुजरते हैं, जो दर्शकों को भी सोचने पर मजबूर करेगा।

यश सोनी का किरदार: 'दर्द को महसूस करना, न कि ठीक करना'

अपने किरदार आदित्य के बारे में बात करते हुए, यश सोनी ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा, "आदित्य कोई लाउड या ड्रामेटिक कैरेक्टर नहीं है; उसका दर्द आंतरिक है और उसे समझाना मुश्किल है। यही बात मुझे उसे इतना रियल महसूस कराती थी। इस रोल को निभाने से मुझे यह याद आया कि कभी-कभी हमें लोगों को 'फिक्स' करने की ज़रूरत नहीं होती, बस उनके साथ बिना किसी जजमेंट के बैठना होता है।" यश सोनी का यह बयान मिठाडा महेमन के इमोशनल डेप्थ को दर्शाता है और यह बताता है कि फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि मानवीय रिश्तों की समझ भी विकसित करती है।

डिजिटल प्रीमियर का इंतज़ार:14 अगस्त को शेमारूमी पर प्रीमियर होने वाली यह गुजराती फिल्म निश्चित रूप से इस इंडिपेंडेंस डे वीकेंड पर दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाएगी। यह फिल्म न केवल गुजराती सिनेमा को बढ़ावा देती है, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव और समझ की कहानी कहने के अपने वादे को भी पूरा करती है।

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