Up kiran,Digital Desk : कानपुर में इन दिनों 'पुलिस बनाम महिला आयोग' का हाई-वोल्टेज ड्रामा चल रहा है। मामला एक निरीक्षण से शुरू हुआ और अब इज्जत और अधिकारों की लड़ाई बन गया है। अगर आप कानपुर की राजनीति और प्रशासन में दिलचस्पी रखते हैं, तो यह खबर आपको जरूर पढ़नी चाहिए।
यहाँ क्या चल रहा है, बिल्कुल आसान और सीधे शब्दों में समझिए:
विवाद की जड़: एक दौरा और एक चिट्ठी
कहानी शुरू हुई मंगलवार को, जब राज्य महिला आयोग की सदस्य अनीता गुप्ता कानपुर के बर्रा थाने पहुंचीं। उन्होंने वहां महिला हेल्प डेस्क का काम देखा। इसके तुरंत बाद, जेसीपी (JCP) क्राइम विनोद कुमार सिंह ने एक चिट्ठी जारी कर दी। इसमें लिखा गया कि आयोग की सदस्य को थाने का निरीक्षण करने का 'अधिकार' नहीं है। चिट्ठी की भाषा इतनी तल्ख थी कि मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और विपक्ष ने इसे पुलिस का अहंकार बता दिया।
पुलिस कमिश्नर ने संभाली बात, बोले- "गलतफहमी हो गई"
जब मामला बढ़ा, तो पुलिस कमिश्नर (CP) रघुबीर लाल को बीच-बचाव के लिए आना पड़ा। उन्होंने इसे 'गलतफहमी' और 'शब्दों का फेर' बताया।
सीपी ने कहा- "अनीता जी एक शिकायत के समाधान के लिए गई थीं। शिकायत लेकर तो कोई भी थाने जा सकता है। जेसीपी के पत्र से बेवजह का भ्रम फ़ैल गया, अब दोनों पक्षों में सुहले हो गई है।"
लेकिन अनीता गुप्ता अभी 'मूड' में नहीं हैं
भले ही कमिश्नर साहब 'सब ठीक है' कह रहे हों, लेकिन अनीता गुप्ता ने आर-पार की लड़ाई ठान ली है। उन्होंने सीधे डीजीपी (DGP) को पत्र लिखकर जेसीपी पर कठोर कार्रवाई की मांग कर दी है। उन्होंने कुछ ऐसे सवाल दागे हैं जिनका जवाब देना पुलिस के लिए भारी पड़ सकता है:
- "क्या मैं अनधिकृत हूँ?" - जेसीपी ने पत्र में उन्हें 'अनधिकृत व्यक्ति' (Unauthorized Person) जैसा संबोधन दिया। अनीता का सवाल है कि एक संवैधानिक पद पर बैठी महिला 'अनधिकृत' कैसे हो सकती है? क्या आम नागरिक भी थाने नहीं जा सकता?
- "कौन सा काम रोका मैंने?" - पुलिस का कहना था कि उनके जाने से सरकारी काम में बाधा आई। अनीता जी ने पूछा- "जरा बताएं तो, हेल्प डेस्क पर ऐसी कौन सी इमरजेंसी चल रही थी जो मेरे जाने से रुक गई?"
- "चेतावनी देने वाले आप कौन?" - उन्होंने पूछा कि एक पुलिस अधिकारी किस अधिकार क्षेत्र से महिला आयोग के सदस्य को चेतावनी या ऑर्डर दे सकता है?
अब लखनऊ में होगी 'पंचायत'
अब यह लड़ाई लखनऊ पहुंच गई है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता सिंह ने साफ कर दिया है कि वह जल्द ही अनीता गुप्ता और पुलिस कमिश्नर समेत संबंधित अधिकारियों को लखनऊ बुलाएंगी। वहीं आमने-सामने बैठकर बात होगी।
विपक्ष कह रहा है कि यह अफसरों की 'नौकरशाही मानसिकता' है जो संवैधानिक संस्थाओं को भी नहीं बख्श रही। अब देखना यह है कि पुलिस महकमा अपनी साख कैसे बचाता है।
_471300352_100x75.jpg)
_1974242507_100x75.jpg)
_1376905644_100x75.jpg)
_1647406954_100x75.jpg)
_697419571_100x75.jpg)