Up Kiran, Digital Desk: आप भारत में कई अद्भुत मंदिर देखेंगे, जिनकी अपनी अनूठी कहानियां और परंपराएं हैं. लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित 'बिजली महादेव मंदिर' की कहानी आपको सचमुच हैरान कर देगी. यह कोई साधारण मंदिर नहीं, बल्कि एक ऐसा चमत्कार है जहाँ हर 12 साल में स्वयं आसमान से बिजली गिरकर शिवलिंग को खंडित कर देती है और पुजारी उसे फिर से मक्खन से जोड़ते हैं! वाकई, प्रकृति और आस्था का ऐसा मेल और कहीं देखने को नहीं मिलता.
कुल्लू घाटी का गहना: मन मोह लेने वाली सुंदरता
ब्यास और पार्वती नदी के संगम पर, ऊँचे पहाड़ की चोटी पर बना यह मंदिर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी मशहूर है. चारों ओर बर्फीली चोटियाँ, हरियाली और दूर-दूर तक फैली घाटियों का नज़ारा, इस मंदिर को देवभूमि का असली गहना बना देता है. यहां पहुंचने के लिए करीब तीन किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है, जो अपने आप में एक रोमांचक यात्रा है. रास्ते में आपको घाटी के मनमोहक दृश्य और चिड़ियों की चहचहाहट मिलेगी, जो आपके मन को शांति से भर देगी.
क्यों गिरती है हर 12 साल में बिजली? रहस्यमयी कथा
इस रहस्यमयी घटना के पीछे एक पुरानी मान्यता है. पौराणिक कथा के अनुसार, कुल्लू घाटी में एक विशालकाय दैत्य रहता था जिसका नाम 'कुलंत' था. यह दैत्य इस पूरी घाटी को एक सांप की तरह समेटे हुए था और यहां के लोगों के लिए लगातार परेशानियां खड़ी कर रहा था. भगवान शिव ने दैत्य को मारने का फैसला किया और अंततः कुलंत का वध कर दिया. दैत्य कुलंत का शरीर एक विशाल पहाड़ में बदल गया, और आज जिस जगह पर बिजली महादेव का मंदिर है, वही दैत्य का सिर था.
मान्यता है कि भगवान शिव, भक्तों को बड़े संकट से बचाने के लिए, हर 12 साल में यह बिजली खुद पर झेल लेते हैं. दरअसल, इस घाटी में बिजली गिरने से भारी नुकसान होने का खतरा रहता था, और कहा जाता है कि भगवान शिव खुद पर बिजली लेकर इस खतरे को टाल देते हैं, ताकि क्षेत्र में जान-माल का नुकसान न हो. स्थानीय लोग मानते हैं कि भगवान शिव इस बिजली को धारण कर लेते हैं, और इसी कारण यह बिजली सीधे शिवलिंग पर गिरती है.
शिवलिंग पर बिजली गिरी – फिर कैसे होता है पुनरुत्थान?
यह घटना केवल यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि इसके बाद जो होता है वह और भी अविश्वसनीय है. जब बिजली गिरती है, तो शिवलिंग टुकड़ों में टूट जाता है. उस समय मंदिर के पुजारी खंडित शिवलिंग के टुकड़ों को इकट्ठा करते हैं और मक्खन व सतू से उसे धीरे-धीरे जोड़ते हैं. कुछ ही दिनों में चमत्कारिक रूप से शिवलिंग फिर से साबुत और मजबूत हो जाता है. इसे भगवान शिव की अटूट शक्ति और देवत्व का प्रमाण माना जाता है. यह सिलसिला सदियों से ऐसे ही चला आ रहा है, जिसने इसे सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे रहस्यमय मंदिरों में से एक बना दिया है.
यहां आने वाला हर भक्त शिव के इस अद्भुत रूप के सामने नतमस्तक हो जाता है और प्रकृति की शक्ति व आध्यात्मिक महत्व के बीच के इस गहरे रिश्ते को महसूस करता है. यह मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो जीवन भर याद रहता है.
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