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Up Kiran, Digital Desk: हमारे देश में शिक्षा के क्षेत्र में एक नया और बेहद महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है. महिला शिक्षा के लिए प्रसिद्ध बनस्थली विद्यापीठ ने भारत का पहला 'ऑल-वीमेन एलएलएम' यानी कानून में मास्टर्स डिग्री प्रोग्राम शुरू किया है, जो खासतौर पर फॉरेंसिक साइंस और क्रिमिनल लॉ पर आधारित होगा.

यह सिर्फ एक नया कोर्स नहीं है, बल्कि यह कानून और न्याय के क्षेत्र में महिलाओं के लिए संभावनाओं के नए दरवाजे खोलने जैसा है.

क्यों है यह कोर्स इतना खास: अब तक कानून की पढ़ाई (LLB) और उसमें मास्टर्स (LLM) के कई कोर्स मौजूद थे, लेकिन यह पहली बार है जब सिर्फ महिलाओं के लिए एक ऐसा chuyên biệt प्रोग्राम तैयार किया गया है जो कानून को विज्ञान के नजरिए से जोड़ता है.

इस कोर्स का मकसद ऐसी महिला वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों को तैयार करना है जो क्रिमिनल केसों को सुलझाने में माहिर हों. इसमें उन्हें सिखाया जाएगा कि कैसे फॉरेंसिक साइंस की मदद से सबूत इकट्ठा किए जाते हैं, उनकी जांच की जाती है और फिर अदालत में उन सबूतों के आधार पर मजबूती से केस लड़ा जाता है. आज के डिजिटल युग में, जब साइबर क्राइम और डिजिटल सबूत इतने अहम हो गए हैं, यह कोर्स और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाता है.

इससे क्या बदलेगा: माना जा रहा है कि इस पहल से कई बड़े बदलाव आएंगे.

विशेषज्ञों की नई पीढ़ी: देश को ऐसी महिला कानूनी पेशेवर मिलेंगी जो आपराधिक मामलों की गहरी समझ रखती हैं और वैज्ञानिक सबूतों का विश्लेषण करने में भी माहिर हैं.

महिला सशक्तिकरण: यह कदम कानून जैसे क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को और मजबूत करेगा, जिसे पारंपरिक रूप से पुरुषों का क्षेत्र माना जाता रहा है.

न्याय प्रणाली में मजबूती: जब बेहतर और वैज्ञानिक रूप से प्रशिक्षित वकील न्याय प्रणाली का हिस्सा बनेंगे, तो आपराधिक मामलों की जांच और सुनवाई की गुणवत्ता में भी सुधार होगा.

बनस्थली विद्यापीठ की यह पहल वाकई काबिले-तारीफ है, जो महिला शिक्षा को एक नई दिशा देने और देश की न्याय व्यवस्था को और मजबूत बनाने का काम करेगी.