
Up Kiran, Digital Desk: अक्सर बड़े-बड़े बदलावों की शुरुआत एक छोटे से आइडिया या एक सामान्य सी बातचीत से होती है। ऐसा ही एक दिल छू लेने वाला किस्सा केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सुनाया है, जो बताता है कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक छोटी सी सलाह ने असम में एक विशाल जन-आंदोलन को जन्म दे दिया।
क्या है यह पूरा किस्सा: बात उन दिनों की है, जब सर्बानंद सोनोवाल असम के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। एक बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे असम की प्राकृतिक सुंदरता और हरियाली के बारे में पूछा। सोनोवाल ने उन्हें राज्य की समृद्ध जैव-विविधता (biodiversity) के बारे में विस्तार से बताया।
सारी बातें सुनने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत ही सहजता से एक छोटी सी सलाह दी। उन्होंने कहा, "असम प्राकृतिक रूप से इतना सुंदर है, तो क्यों न आप इसे और भी हरा-भरा बनाने के लिए एक बड़ा पेड़ लगाओ अभियान (tree plantation drive) शुरू करें?"
एक सलाह, जिसने रचा इतिहास
प्रधानमंत्री की यह छोटी सी सलाह सोनोवाल के दिल में उतर गई। उन्हें यह आइडिया इतना पसंद आया कि उन्होंने इस पर तुरंत काम करना शुरू कर दिया। इसी प्रेरणा का नतीजा था असम का ऐतिहासिक 'अमृत बृक्ष्य आंदोलन'।
इस आंदोलन का लक्ष्य इतना बड़ा था कि सुनकर कोई भी हैरान हो जाए। इसके तहत, पूरे राज्य में एक ही दिन में एक करोड़ व्यावसायिक रूप से उपयोगी पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया। यह अभियान सिर्फ पेड़ लगाने तक ही सीमित नहीं था, बल्कि इसका मकसद लोगों को पर्यावरण से जोड़ना और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देना था।
यह किस्सा 'मेरी माटी मेरा देश' अभियान के दौरान सुनाते हुए सोनोवाल ने बताया कि कैसे एक दूरदर्शी नेता की एक छोटी सी प्रेरणा भी एक विशाल जन-आंदोलन को जन्म दे सकती है और लाखों लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।