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Up Kiran, Digital Desk: बॉलीवुड की जानी-मानी हस्ती और लेखिका ट्विंकल खन्ना, जो अपनी बेबाक राय और अनोखे लेखन के लिए जानी जाती हैं, हाल ही में एक खास कार्यक्रम में अपनी नई साहित्यिक पेशकश के साथ सामने आईं। उन्होंने अपने लघु कथाओं के संग्रह (short story collection) से एक अंश पढ़ा, जिसने वहां मौजूद दर्शकों का मन मोह लिया और उन्हें हंसाया भी, रुलाया भी। यह आयोजन एक साहित्यिक उत्सव या पुस्तक विमोचन से जुड़ा हो सकता है, जहाँ लेखकों की अपनी रचनाओं से रूबरू कराने की परंपरा है।

'द लेजेंड ऑफ लक्ष्मी प्रसाद' या कोई नया खज़ाना?

ट्विंकल खन्ना, जिन्होंने अभिनय की दुनिया से निकलकर लेखन में अपनी एक अलग पहचान बनाई है, अपनी किताबों में अक्सर समकालीन समाज, रिश्तों की उलझनें, महिलाओं के मुद्दे और मानवीय भावनाओं को बड़ी ही चतुराई और हास्य के साथ पिरोती हैं। उनके लघु कथा संग्रह, जैसे 'द लेजेंड ऑफ लक्ष्मी प्रसाद' (The Legend of Lakshmi Prasad), को पाठकों ने खूब सराहा है। उस अंश में, जो उन्होंने पढ़ा, उसमें संभवतः आधुनिक जीवन की छोटी-छोटी खुशियाँ, चुनौतियाँ या फिर किसी अनूठी सोच को दर्शाया गया होगा, जिसने श्रोताओं को सीधे तौर पर छुआ।

लेखिका का अंदाज़, बातों में 'चाशनी' और 'मिर्च' दोनों!

ट्विंकल खन्ना की खासियत यही है कि वे अपनी बातों में सटीकता और हास्य का ऐसा मिश्रण रखती हैं कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। उनके लेखन में एक ऐसी सच्चाई होती है जो सीधे दिल तक पहुँचती है। उन्होंने जिस अंश को पढ़ा, वह भी शायद इसी शैली का एक नमूना रहा होगा, जिसमें रोज़मर्रा की ज़िंदगी के ताने-बाने को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया हो। इस अंश के माध्यम से उन्होंने निश्चित रूप से अपने पाठकों को एक नई कहानी का स्वाद चखाया होगा।

दर्शकों की तालियों से गूंजा हॉल, लेखक की मेहनत सफल!

जब ट्विंकल खन्ना ने अपनी कहानी का अंश पढ़ा, तो पूरा हॉल उनकी बातों में खो गया। उनके शब्दों के साथ-साथ उनकी प्रस्तुति ने भी लोगों को बांधे रखा। कहानी के अंत में तालियों की गड़गड़ाहट ने उनकी लेखन क्षमता और प्रस्तुति के अंदाज़ को बखूबी बयां किया। ऐसे कार्यक्रम न केवल लेखकों को अपने पाठकों से सीधे जुड़ने का मौका देते हैं, बल्कि साहित्य के प्रति रुचि रखने वाले लोगों के लिए भी एक अनूठा अनुभव लेकर आते हैं।

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