
Up Kiran, Digital Desk: ऋषिकेश को हम योग और आध्यात्म की नगरी के रूप में जानते हैं। यहाँ के घाट, मंदिर और गंगा की आरती का नज़ारा मन मोह लेता है। लेकिन इसी भीड़-भाड़ वाले शहर में एक ऐसा शांत और अद्भुत मंदिर भी है, जिसके बारे में शायद बहुत कम लोग जानते हैं। यह मंदिर है तारा माता का, जो त्रिवेणी घाट के पास स्थित है।
क्या है इस मंदिर का इतिहास: यह मंदिर कोई साधारण मंदिर नहीं है, बल्कि इसका इतिहास 1000 साल से भी ज़्यादा पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 9वीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। उन्होंने देश के अलग-अलग कोनों में शक्ति की उपासना के लिए कई पीठों की स्थापना की थी, और माना जाता है कि यह मंदिर भी उन्हीं में से एक है। यह मंदिर तारा माता को समर्पित है, जो दस महाविद्याओं में से एक और बौद्ध धर्म में भी पूजनीय हैं।
कहाँ है यह खूबसूरत मंदिर: अगर आप ऋषिकेश के मशहूर त्रिवेणी घाट पर हैं, तो बस वहाँ से कुछ ही दूरी पर आपको यह शांत और पवित्र स्थान मिल जाएगा। यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना हुआ है, जहाँ तक पहुँचने के लिए कुछ सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। ऊपर पहुँचते ही आपको जो शांति और सुकून का एहसास होगा, वह सच में अद्भुत है।
क्यों है यह मंदिर इतना खास: स्थानीय लोगों और पुजारियों की मान्यता है कि जो कोई भी सच्चे मन से इस मंदिर में आता है, उसकी मुराद ज़रूर पूरी होती है। लोग यहाँ सिर्फ़ दर्शन के लिए नहीं, बल्कि मन की शांति और अपनी समस्याओं का हल पाने के लिए भी आते हैं। मंदिर का वातावरण इतना सकारात्मक है कि यहाँ आकर आपको एक अलग ही ऊर्जा महसूस होती है।
यहाँ की सबसे अनोखी बात यह है कि इस मंदिर में देश-विदेश से, खासकर तिब्बत से, कई बौद्ध भिक्षु भी साधना करने के लिए आते हैं। यह मंदिर हिंदू और बौद्ध धर्म की एकता का एक खूबसूरत प्रतीक भी है।
सिर्फ एक मंदिर नहीं, शांति का अनुभव: यह जगह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो आपको शहर के शोर-शराबे से दूर ले जाता है। अगर आप अगली बार ऋषिकेश जाएं, तो त्रिवेणी घाट की आरती देखने के बाद कुछ समय निकालकर तारा माता मंदिर ज़रूर जाएं। आपको वहाँ जो आध्यात्मिक शांति मिलेगी, वो शायद कहीं और न मिले।
यह मंदिर इस बात का सबूत है कि भारत में ऐसी कितनी ही अनमोल धरोहरें हैं, जो भीड़ से दूर, चुपचाप अपनी आध्यात्मिक रोशनी बिखेर रही हैं।