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Up Kiran, Digital Desk: पंजाब में आम आदमी पार्टी की राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह किसी चुनावी रणनीति या विकास योजना की नहीं, बल्कि संगठन के भीतर बढ़ती असहमति की है। पार्टी ने 23 सितंबर 2025 को बड़ा फैसला लेते हुए दो प्रमुख नेताओं, रिम्पी ग्रेवाल और हरमनजीत सिंह, को छह महीने के लिए सभी जिम्मेदारियों से हटा दिया है।

पार्टी की छवि पर उठे सवाल

ये कार्रवाई अचानक नहीं हुई। पार्टी के भीतर उठ रहे विरोध के सुर धीरे-धीरे सार्वजनिक मंचों पर दिखाई देने लगे थे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये घटनाएं केवल दो नेताओं की निलंबन की कहानी नहीं हैं, बल्कि यह दर्शाती हैं कि पार्टी के अंदर असहमति की लहरें गहराती जा रही हैं।

आलोचनात्मक वीडियो और अनुशासनहीनता बनी वजह

पार्टी की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, रिम्पी ग्रेवाल पर आरोप है कि उन्होंने सरकार और संगठन की नीतियों के खिलाफ वीडियो शेयर किए, जिससे पार्टी की साख को नुकसान पहुंचा। इस कदम को अनुशासनहीनता माना गया और उसी आधार पर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।

सोशल मीडिया बना ‘आक्रोश’ का मंच

हरमनजीत सिंह का मामला भी कुछ अलग नहीं है। उन पर सोशल मीडिया के जरिए पार्टी नेतृत्व पर खुलेआम सवाल उठाने और अन्य कार्यकर्ताओं को भड़काने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। इन आरोपों को लेकर उन्हें 19 सितंबर को कारण बताओ नोटिस भेजा गया था। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त समय दिया गया था लेकिन जवाब संतोषजनक नहीं रहा।