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Up Kiran, Digital Desk: न्यूयॉर्क में रहने वाले एक दंपति की कहानी इन दिनों दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी हुई है। करीब दो दशक तक संतान की आस में संघर्ष करने के बाद, आखिरकार उन्हें वह खुशखबरी मिली जिसका वे वर्षों से इंतज़ार कर रहे थे। 15 बार IVF फेल हुआ, कई देशों के विशेषज्ञों से सलाह ली गई, लेकिन हर प्रयास नाकाम रहा। जब उम्मीद की आखिरी किरण भी बुझती नज़र आई, तब Columbia University द्वारा विकसित एक AI आधारित फर्टिलिटी टूल – STAR (Sperm Track and Recovery) ने चमत्कार कर दिखाया।

यह केवल एक मेडिकल सफलता नहीं, बल्कि विज्ञान, तकनीक, धैर्य और मानवीय भावना की अद्भुत जीत है। यह उन लाखों दंपतियों के लिए नई आशा है, जो निसंतानता की पीड़ा से गुजर रहे हैं।

क्या है STAR और कैसे करता है काम

STAR एक AI-पावर्ड सिस्टम है, जिसे ऐसे सीमेन सैंपल्स में जीवित शुक्राणु तलाशने के लिए डिजाइन किया गया है, जिनमें पारंपरिक तकनीकों से कोई स्पर्म नहीं दिखता।

इसकी तकनीक तीन मुख्य चरणों पर काम करती है:

माइक्रोफ्लुइडिक चिप: सीमेन में मौजूद तत्वों को अलग करती है

हाई-स्पीड इमेजिंग सिस्टम: लाखों माइक्रो-फ्रेम कैप्चर करता है

मशीन लर्निंग एल्गोरिदम: इन इमेजेस को एनालाइज कर के छिपे हुए स्पर्म को पहचानता है

जिस प्रक्रिया को डॉक्टर "भूसे के ढेर में सुई ढूंढना" कहते हैं, STAR कुछ ही घंटों में वह काम कर दिखाता है — वो भी इतनी बारीकी से कि शुक्राणु IVF के लिए पूरी तरह उपयुक्त रहता है।

एक घंटे, 44 स्पर्म और एक नई शुरुआत

इस केस में, पारंपरिक लैब तकनीशियन दो दिनों तक सैंपल में एक भी स्पर्म नहीं खोज सके। वहीं STAR ने मात्र एक घंटे में 44 जीवित शुक्राणु खोज लिए। इसके बाद मार्च 2025 में बिना किसी अतिरिक्त सर्जरी या हार्मोन थेरेपी के IVF किया गया — और यह पूरी तरह सफल रहा। अब यह दंपति अपने पहले बच्चे के जन्म का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

 

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