
Up Kiran, Digital Desk: हिंदू धर्म में, मृत्यु जीवन का एक अविभाज्य सत्य है। लेकिन मृत्यु के बाद क्या होता है? आत्मा कहाँ जाती है? पुनर्जन्म का चक्र क्या है? इन सभी गूढ़ प्रश्नों के उत्तर हमें सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक 'गरुड़ पुराण' में मिलते हैं। यह पुराण, भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बीच हुए संवाद का विस्तृत वर्णन करता है, जिसमें जीवन-मरण के रहस्य, कर्मों के फल, स्वर्ग-नर्क की अवधारणा और अंततः मोक्ष प्राप्ति के मार्ग का गहन विश्लेषण किया गया है। गरूड़ पुराण सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक है जो हमें एक धर्मपरायण और सार्थक जीवन जीने की प्रेरणा देता है। इसका हर पृष्ठ हमें यह स्मरण कराता है कि मृत्यु से पहले किए गए कर्म ही हमारी परलोक यात्रा का निर्धारण करते हैं।
जीवन और मृत्यु का रहस्य: क्या है गरूड़ पुराण का मुख्य संदेश?
गरूड़ पुराण का मूल संदेश अत्यंत स्पष्ट है – कर्म ही प्रधान हैं। यह हमें सिखाता है कि हमारे द्वारा किए गए प्रत्येक कार्य, चाहे वह अच्छा हो या बुरा, उसका फल हमें अवश्य भोगना पड़ता है। भगवान विष्णु स्वयं गरुड़ को बताते हैं कि मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर ही मृत्यु के बाद यातनाएं सहनी पड़ती हैं या उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जो लोग अपने जीवनकाल में सत्कर्म करते हैं, दान-पुण्य करते हैं, दूसरों की सहायता करते हैं और धर्म के मार्ग पर चलते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद शांति मिलती है और वे मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं। इसके विपरीत, जो लोग पाप कर्म करते हैं, दूसरों को कष्ट पहुँचाते हैं, अन्याय करते हैं, उन्हें यमलोक में कठोर दंड भोगना पड़ता है। यह पुराण हमें मृत्यु के भय से नहीं डराता, बल्कि हमें कर्म सुधारने की प्रेरणा देता है, ताकि हम एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें।
मोक्ष की राह: गरूड़ पुराण के अनुसार कैसे पाएं मुक्ति?
गरुड़ पुराण में मोक्ष प्राप्ति के लिए कुछ महत्वपूर्ण मार्ग बताए गए हैं। इसका सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण नियम है - 'सत्कर्म'। हमें हमेशा ऐसे कर्म करने चाहिए जिनसे दूसरों का भला हो। गरीबों की सहायता करना, असहायों को सहारा देना, दान करना, तीर्थ यात्राएं करना, और अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना, ये सभी सत्कर्म की श्रेणी में आते हैं। गरूड़ पुराण विशेष रूप से दान के महत्व पर जोर देता है। अन्न दान, वस्त्र दान, गौ दान और विद्या दान को विशेष फलदायी बताया गया है। इसके अतिरिक्त, यह भी कहा गया है कि मृत्यु से पहले व्यक्ति को अपनी सभी इच्छाओं और वासनाओं से मुक्त हो जाना चाहिए। क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे दुर्गुणों का त्याग करना अत्यंत आवश्यक है। मन को शुद्ध रखना और ईश्वर का स्मरण करना भी मोक्ष प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण साधन है। अंतिम समय में भगवान के नाम का जाप करना आत्मा को शांति प्रदान करता है और उसे सद्गति दिलाता है।
यमलोक का डरावना सफर: जब पापों का होता है हिसाब!
गरुड़ पुराण में यमलोक के मार्ग और वहां मिलने वाली यातनाओं का विस्तृत वर्णन किया गया है, जो सुनने में भले ही भयावह लगे, लेकिन इसका उद्देश्य हमें पाप कर्मों से विचलित करना है। यह बताया गया है कि पापी आत्मा को मृत्यु के बाद यमदूतों द्वारा पकड़कर यमलोक ले जाया जाता है। यह रास्ता अत्यंत दुर्गम और कष्टदायक होता है। रास्ते में भयानक नदियाँ, जलते हुए जंगल और तीक्ष्ण धार वाले मार्ग होते हैं, जिन्हें आत्मा को पार करना पड़ता है। पापी आत्माओं को भूख और प्यास से तड़पना पड़ता है, और उन्हें विभिन्न प्रकार की यातनाएं दी जाती हैं, जो उनके द्वारा किए गए पापों के अनुरूप होती हैं। उदाहरण के लिए, जो लोग दूसरों का धन हड़पते हैं, उन्हें गरम लोहे के खंभों से बांधा जाता है। जो लोग जीवों की हत्या करते हैं, उन्हें नरक के कीड़े मकोड़ों द्वारा खाया जाता है। यह सब वर्णन हमें यह समझाने के लिए है कि हमारे कर्मों का हिसाब अवश्य होता है, और हमें अपने जीवनकाल में ही उन्हें सुधार लेना चाहिए।
मृत्यु से पहले ये 5 काम जरूर करें: गरूड़ पुराण का अनमोल ज्ञान!
गरुड़ पुराण हमें मृत्यु के पूर्व कुछ ऐसे कार्यों को करने की प्रेरणा देता है, जो हमें सद्गति प्रदान कर सकते हैं:
सत्कर्म करें: हमेशा अच्छे काम करें, दूसरों की मदद करें और धर्म के मार्ग पर चलें।
दान-पुण्य: अपनी क्षमतानुसार दान करें। अन्न, वस्त्र, धन या ज्ञान का दान विशेष फलदायी होता है।
कर्तव्यों का पालन: अपने परिवार, समाज और देश के प्रति अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करें।
मन को शुद्ध रखें: क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या और अहंकार जैसे नकारात्मक भावों का त्याग करें। मन की शांति और विचारों की शुद्धता मोक्ष की ओर ले जाती है।
ईश्वर का स्मरण: प्रतिदिन ईश्वर का ध्यान करें, मंत्रों का जाप करें और धर्मग्रंथों का अध्ययन करें। मृत्यु के समय ईश्वर का स्मरण आत्मा को शांति प्रदान करता है।
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