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Up Kiran, Digital News: मेरठ के लावड़ कस्बे में दबिश के दौरान अनुसूचित जाति की महिलाओं के साथ पुलिस द्वारा की गई मारपीट का मामला अब तूल पकड़ चुका है। वायरल वीडियो और राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद एसएसपी विपिन टाडा ने रविवार देर रात बड़ा कदम उठाते हुए थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी समेत पांच पुलिसकर्मियों को लाइन हाज़िर कर दिया है।
झगड़ा, दबिश और बवाल: क्या है पूरा मामला
7 मई को लावड़ की "राशन वाली गली" में रहने वाले दो भाइयों, सुनील और सुशील के बीच ज़मीन के विवाद को लेकर कहासुनी हो गई। सुनील की शिकायत पर लावड़ चौकी पुलिस मौके पर पहुंची और सुशील को हिरासत में लेकर जाने लगी। आरोप है कि इस पर सुशील के परिजनों ने विरोध किया और दरोगा अमित कुमार के साथ हाथापाई हुई, जिसमें वे घायल हो गए।
इसके बाद इंचौली थाना प्रभारी अतिरिक्त पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे, मगर तनाव कम होने के बजाय और बढ़ गया। पुलिस पर पथराव का आरोप लगा और जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस दौरान कथित तौर पर महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। पुलिस ने सुशील, उसकी पत्नी कविता, बहन रोशनी और अन्य अज्ञात लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया।
वीडियो वायरल, राजनीति तेज़
घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें पुलिसकर्मी महिलाओं पर लाठियां चलाते दिख रहे हैं। यह वीडियो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा शेयर किए जाने के बाद मामला राजनीतिक रंग ले गया।
शनिवार को सपा के सरधना विधायक अतुल प्रधान पीड़ितों के समर्थन में एसएसपी कार्यालय पहुंचे और धरने पर बैठ गए। उन्होंने दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई न होने पर अनशन की चेतावनी दी।
राजनीतिक प्रतिनिधिमंडलों का दौरा
रविवार को राष्ट्रीय जाटव महासंघ के अध्यक्ष पीड़ितों से मिलने पहुंचे। कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल भी उनके घर गया और पीड़ितों की कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय से फोन पर बात कराई।
इन्हीं दबावों के बीच देर रात एसएसपी विपिन टाडा ने कार्रवाई करते हुए लावड़ थाना प्रभारी नितिन पांडेय, चौकी प्रभारी इंद्रेश विक्रम सिंह, दरोगा सुमित गुप्ता, पवन सैनी और सिपाही वसीम को लाइन हाज़िर कर दिया।
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