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Up Kiran, Digital Desk: गणेश चतुर्थी का त्योहार बस आने ही वाला है। हम सब भगवान गणेश की पूजा बुद्धि, विवेक और विघ्नों को दूर करने के लिए करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणपति बप्पा के हर अंग और स्वरूप में धन प्रबंधन और निवेश के गहरे सूत्र छिपे हैं?

अगर आप भी अपनी मेहनत की कमाई को बढ़ाना चाहते हैं और एक मजबूत इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं, तो इस गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश से प्रेरणा लेकर इन 5 वित्तीय मंत्रों को अपने जीवन में जरूर अपनाएं।

बड़ा सिर: सोच-समझकर और ज्ञान के साथ निवेश करें

भगवान गणेश का बड़ा सिर ज्ञान और बुद्धिमत्ता का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि निवेश का कोई भी फैसला बिना सोचे-समझे या दूसरों की बातों में आकर नहीं लेना चाहिए। किसी भी स्टॉक, म्यूचुअल फंड या स्कीम में पैसा लगाने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल करें, अच्छी तरह रिसर्च करें और फिर अपनी समझ के अनुसार ही निवेश करें। बड़ा सिर यह भी संकेत देता है कि हमें हमेशा दूर की सोच रखनी चाहिए और लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखकर निवेश करना चाहिए।

छोटी आंखें: लक्ष्य पर रखें पैनी नजर

गणपति बप्पा की छोटी-छोटी आंखें हमें एकाग्रता और फोकस का पाठ पढ़ाती हैं। निवेश की दुनिया में यह बहुत जरूरी है। बाजार के रोज-रोज के उतार-चढ़ाव से घबराएं नहीं। अपने वित्तीय लक्ष्यों (जैसे- घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई, रिटायरमेंट) पर ध्यान केंद्रित रखें। छोटी आंखें यह भी सिखाती हैं कि हर चीज को बारीकी से देखें और निवेश से जुड़ी छोटी-से-छोटी जानकारी को भी नजरअंदाज न करें।

 बड़े कान: सुनें सबकी, करें अपने मन की

श्री गणेश के बड़े कान, जिन्हें सूपकर्ण भी कहते हैं, एक अच्छे निवेशक का सबसे बड़ा गुण बताते हैं। एक सफल निवेशक हमेशा सबकी सुनता है। वह वित्तीय सलाहकारों, बाजार के जानकारों और खबरों पर ध्यान देता है, लेकिन आखिरी फैसला अपनी रिसर्च और सूझबूझ से ही लेता है। दूसरों की सलाह जरूर लें, लेकिन आंख मूंदकर किसी पर भरोसा न करें।

 लंबी सूंड: हर परिस्थिति में ढलने की कला

भगवान गणेश की लंबी और लचीली सूंड हमें सिखाती है कि हमें समय और परिस्थिति के अनुसार खुद को ढालना सीखना चाहिए। वित्तीय बाजार हमेशा एक जैसा नहीं रहता। कभी तेजी होती है तो कभी मंदी। एक अच्छे निवेशक को बाजार के हर माहौल के लिए तैयार रहना चाहिए। अपनी निवेश रणनीति को समय-समय पर रिव्यू करें और जरूरत पड़ने पर उसमें बदलाव करने से न हिचकिचाएं।

मोदक और मूषक: बचत और इच्छाओं पर नियंत्रण

बप्पा का प्रिय भोग 'मोदक' मीठे फल या इनाम का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि अगर हम अनुशासित होकर लगातार निवेश (जैसे SIP) करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसका मीठा फल जरूर मिलेगा। वहीं, उनका वाहन 'मूषक' हमारी चंचल इच्छाओं और लालच का प्रतीक है। जिस तरह गणेश जी मूषक पर नियंत्रण रखते हैं, उसी तरह हमें भी अपनी फिजूलखर्ची और लालच पर काबू रखना चाहिए। अपनी कमाई का एक हिस्सा बचाने और निवेश करने की आदत डालनी चाहिए, तभी हम वित्तीय रूप से सफल हो सकते हैं।

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