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पहलगाम में हुए भयानक आतंकी हमले के बाद एक ओर देशभर में आक्रोश है, तो दूसरी ओर देहरादून जैसे शांत शहर में पढ़ाई कर रहे कश्मीरी छात्र अनजाने डर के साए में जीने को मजबूर हो गए हैं। सोशल मीडिया पर आई धमकियों के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने फौरन सख्ती दिखाई है और छात्रों को हरसंभव सुरक्षा देने का आश्वासन दिया है।
सोशल मीडिया बना डर का अड्डा
हमले के कुछ घंटों के भीतर ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कुछ संगठनों और अज्ञात यूज़र्स द्वारा कश्मीरी छात्रों को देहरादून छोड़ने की धमकियाँ मिलने लगीं। इन पोस्ट्स में हिंसात्मक भाषा, भड़काऊ स्लोगन और सीधा निशाना बनाए जाने की बातें शामिल थीं।
पुलिस ने आनन फानन संज्ञान लेते हुए ऐसी 25 पोस्ट्स हटवा दी हैं और संबंधित यूज़र्स को चेतावनी जारी की है। साथ ही सोशल मीडिया मॉनिटरिंग और साइबर सेल को एक्टिव कर दिया गया है।
देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि लोगों का आतंकवाद के खिलाफ गुस्सा जायज है, मगर निर्दोष कश्मीरी छात्रों को डराना-धमकाना पूरी तरह गलत है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी है और छात्रावासों, विश्वविद्यालयों में विशेष निगरानी की व्यवस्था की है।
कश्मीरी छात्र डरे, मगर एकजुट
वर्तमान में देहरादून में लगभग 2000 कश्मीरी छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। पहलगाम हमले के बाद उनका मनोबल कमजोर हुआ है, मगर अभी तक किसी छात्र ने औपचारिक रूप से शहर छोड़ने की सूचना नहीं दी है।
जम्मू कश्मीर स्टूडेंट एसोसिएशन ने भी एडवाइजरी जारी की है जिसमें छात्रों से अपील की गई है कि वे फिलहाल हॉस्टल या घरों से बाहर न निकलें, किसी भी तरह की सार्वजनिक टिप्पणी न करें और स्थानीय प्रशासन से सीधे संपर्क में रहें।
एसोसिएशन ने छात्रों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं ताकि वे किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मदद मांग सकें।
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