img

भारत से पंगा लेने के बाद मालदीव का बुरा दौर शुरू हो गया है। पहले हिंदुस्तान से राजकीय विवाद, फिर भारतीयों की तरफ से किए गए बॉयकॉट के चलते आए आर्थिक संकट ने मालदीव की कमर तोड़ दी है। अब तो हाल और भी बदतर हो गए हैं। स्थिति ये है कि मालदीव की आवाम अब बूंद बूंद पानी को तरस रहे हैं। 2014 के बाद फिर से मालदीव पर बड़ा जल संकट मंडरा रहा है।

हालांकि 2014 में भारत ने तब रक्षक बनकर मालदीव में ऑपरेशन नीर चलाकर पानी उपलब्ध कराया था। मगर भारत से विवाद के बाद इस बार जल संकट से खुद को बचाने के लिए मालदीव चीन के सामने हाथ जोड़ रहा है। दरअसल, मालदीव के पास चीन से मदद मांगने के अलावा कोई चारा नहीं है। ऐसे में चीन की शरण में जा चुकी मोदी सरकार के गिड़गिड़ाने पर जिंगपिंग ने राहत के दरवाजे खोले हैं चीन की सरकार ने मालदीव को 1500 टन पीने का पानी दान किया है। ये पानी चीन ने तिब्बत के ग्लेशियरों से जमा किया हुआ था।

मालदीव में पानी की भारी किल्लत को दूर करने के लिए चीन की शी जिनपिंग सरकार ने तिब्बत में ग्लेशियरों से मिले 1500 टन पीने का पानी दान किया है। ये दान मालदीव को चीन से मिल रहे समर्थन के हिस्से के रूप में आया है। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को जानकारी दी कि पीने के पानी की खेप सफलतापूर्वक उस तक पहुंच गई है।

--Advertisement--