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Up Kiran , Digital Desk: पाकिस्तान में संकट का दौर एक नई दिशा में बढ़ता जा रहा है। भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद से पाकिस्तान न केवल अपनी सैन्य और सुरक्षा स्थिति में मुश्किलों का सामना कर रहा है बल्कि अब उसका आर्थिक तंत्र भी बुरी तरह चरमरा गया है। इस ऑपरेशन के बाद से पाकिस्तानी शेयर बाजार में गहरी गिरावट देखी गई है और अब कराची स्टॉक एक्सचेंज (KSE) की हालत ऐसी हो गई है कि कारोबार को रोकना पड़ा। चलिए जानते हैं इस आर्थिक आपदा की वजह और पाकिस्तान की स्थिति के बारे में।

भारतीय ऑपरेशन सिंदूर का असर पाकिस्तान के बाजार पर

भारत की सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान से जुड़े कई आतंकी समूहों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान के लिए न केवल सैन्य संकट पैदा किया है बल्कि इसने उसकी आर्थिक स्थिति को भी बेहद प्रभावित किया है।
बुधवार 7 मई 2025 को पाकिस्तान के शेयर बाजार KSE-100 में भारी गिरावट देखी गई जो कि भारतीय हमले के बाद दूसरी बार हुई। इस दिन KSE-100 इंडेक्स 6.32% तक गिरकर 103060 अंक तक पहुंच गया जबकि KSE-30 ने 7.13% की गिरावट दर्ज की। यह गिरावट सिर्फ एक दिन की नहीं बल्कि एक जबरदस्त आर्थिक झटके का संकेत है।

भारत में मजबूत बाजार पाकिस्तान में गिरावट

जब पाकिस्तान का शेयर बाजार तूफान से जूझ रहा था वहीं भारतीय शेयर बाजार ने खुद को मजबूती से खड़ा किया। भारतीय सेंसेक्स और निफ्टी जैसे प्रमुख सूचकांक स्थिर बने हुए हैं। भले ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और भी बढ़ चुका है मगर भारतीय बाजार ने अपने निवेशकों का विश्वास बनाए रखा है।

दूसरी ओर पाकिस्तान के बाजार में अचानक आई गिरावट से निवेशक घबराए हुए हैं। पाकिस्तान में विदेशी निवेशकों के लिए भी यह बड़ा झटका साबित हुआ है क्योंकि वे अब IMF (International Monetary Fund) के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
क्या IMF पाकिस्तान की आर्थिक मदद को आगे बढ़ाएगा या फिर इसे और मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा? यह सवाल अब पूरे पाकिस्तान के आर्थिक भविष्य को तय करेगा।

IMF का फैसला: पाकिस्तान की उम्मीदें और संकट

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही मुश्किलों में थी और अब इस स्थिति में IMF के फैसले का सबसे बड़ा महत्व है। पाकिस्तान के बाजार में निवेश करने वाले विदेशी निवेशक पूरी तरह से इस फैसले पर निर्भर हैं।

पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान के शेयर बाजार ने भी सुधार की कुछ झलकियां दिखाई थीं। क्रूड की कीमतों में गिरावट और पाकिस्तान की क्रेडिट रेटिंग में सुधार ने कुछ उम्मीदों को जन्म दिया था। लेकिन हालिया घटनाओं ने इस सुधार को पूरी तरह उलट दिया है। अप्रैल के अंत में हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद से ही KSE-100 में 13% और KSE-30 में 14% से ज्यादा गिरावट देखी गई है। इस हमले के बाद पाकिस्तान में निवेशकों का माहौल और भी ज्यादा घबराया हुआ है।

पाकिस्तान के वित्तीय प्रयासों को झटका

पाकिस्तान की सरकार लगातार अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने की कोशिशों में जुटी हुई है। हालांकि बढ़ते सैन्य तनाव और पाकिस्तान की क्रेडिट रेटिंग पर दबाव ने इन प्रयासों को बुरी तरह प्रभावित किया है।

इससे पहले 30 अप्रैल को पाकिस्तान का शेयर बाजार एक ही दिन में 3% से अधिक गिर गया था। उस समय पाकिस्तान सरकार के एक मंत्री ने चेतावनी दी थी कि भारत अगले 24-36 घंटे में पाकिस्तान पर हमला कर सकता है। इसके बाद निवेशक डर के मारे अपने पैसे निकालने लगे। हालांकि इस गिरावट के बाद कुछ सुधार हुआ मगर अब फिर से बाजार अस्थिर हो गया है।

क्या आगे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संभल पाएगी

यह सवाल फिलहाल पाकिस्तान के निवेशकों के लिए सबसे अहम है। भारत के साथ बढ़ते तनाव ने पहले ही पाकिस्तान की आर्थिक हालत को और जटिल बना दिया है। निवेशकों का विश्वास खत्म होने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का ग्राफ गिरता जा रहा है।

पाकिस्तान को अब इस बात का इंतजार है कि IMF के फैसले के बाद उसकी स्थिति में कोई सुधार आता है या नहीं। लेकिन एक बात तो साफ है कि पाकिस्तान को आर्थिक राजनीतिक और सैन्य मोर्चे पर अभी और भी मुश्किलें आने वाली हैं।

 

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