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बीते कुछ महीनों में सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। एक समय ऐसा था जब सोना स्थिरता का प्रतीक माना जाता था, लेकिन अब यह तेजी से बदलती कीमतों की वजह से चर्चा में है। अगस्त 2024 में 10 ग्राम सोने की कीमत 74,222 रुपये थी, जो अप्रैल 2025 तक बढ़कर 96,450 रुपये तक पहुंच गई। ट्रेडिंग के दौरान यह 97 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को भी छू चुका है।

लोगों की जेब पर असर, शादी-ब्याह पर पड़ा सीधा असर

सोने की कीमतों में इस अचानक और भारी वृद्धि का सबसे बड़ा असर आम लोगों पर पड़ा है। खासकर शादी-ब्याह के सीजन में जब सोने की मांग सबसे अधिक होती है, तब इतनी ऊंची कीमतों के कारण कई लोग अपनी जरूरत के मुताबिक ज्वैलरी नहीं खरीद पा रहे हैं।

क्या इतिहास खुद को दोहराएगा? जानिए 2013 की कहानी

2013 में सोने की कीमतों में भी इसी तरह की तेजी देखने को मिली थी। उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 1930 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया था। लेकिन जल्द ही इसमें भारी गिरावट आई और यह 1100 डॉलर प्रति औंस तक टूट गया। यानी करीब 47 प्रतिशत की गिरावट। यह गिरावट अमेरिका द्वारा अपने मौद्रिक नीति कार्यक्रम (Quantitative Easing) में कटौती, गोल्ड ईटीएफ से बड़े पैमाने पर निकासी और डॉलर में मजबूती की वजह से आई थी।

विशेषज्ञों की चेतावनी: सावधानी बरतने का समय

ऑल बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन योगेश सिंघल ने बताया कि वर्तमान में सोने की तेजी खतरे का संकेत है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर स्थिति अस्थिर है—डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर, डॉलर की कमजोरी और केंद्रीय बैंकों द्वारा भारी मात्रा में सोना खरीदे जाने की वजह से मांग बढ़ी है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जैसे ही हालात स्थिर होंगे, सोने की कीमतों में बड़ी गिरावट आ सकती है।

सोने की सप्लाई बढ़ने से कीमतों पर दबाव

योगेश सिंघल ने यह भी कहा कि अगर अमेरिका अपने गोल्ड रिजर्व में कटौती करता है और क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देता है, तो सोने की आपूर्ति बढ़ेगी और कीमतों में गिरावट आ सकती है। यदि 2013 जैसी स्थिति बनी तो सोना 3230 डॉलर प्रति औंस से गिरकर 1820 डॉलर तक आ सकता है। ऐसे में भारत में 10 ग्राम सोने की कीमत 97 हजार से गिरकर 55 से 60 हजार रुपये तक पहुंच सकती है।

सोना-चांदी का अनुपात भी चिंता का विषय

एक और वजह जिससे गिरावट की आशंका है, वह है सोना-चांदी का ऐतिहासिक अनुपात। पहले 10 ग्राम सोना और 1 किलो चांदी की कीमत लगभग समान रहती थी। लेकिन अब सोने की कीमत 97 हजार के करीब है, जबकि चांदी भी लगभग इसी स्तर पर है। यह असमानता बाजार में संभावित गिरावट की ओर इशारा कर रही है।

Gold ETF से निकासी ने बढ़ाई चिंता

जहां एक ओर सोने के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं, वहीं दूसरी ओर गोल्ड ईटीएफ से निवेशकों की निकासी भी शुरू हो गई है। एएमएफआई के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2025 में गोल्ड ईटीएफ से 77 करोड़ रुपये निकाले गए। यह निवेशकों के रुख में बदलाव का संकेत है।