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Up Kiran Digital Desk: उत्तराखंड के नामचीन धार्मिक स्थलों पर हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन हालिया घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इन जगहों पर भीड़ प्रबंधन और यात्रियों की सुरक्षा पर्याप्त है? 27 जुलाई को हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हुई दर्दनाक घटना के बाद इस मुद्दे पर सरकार ने अब गंभीर रुख अपनाया है।

सीएम धामी ने हादसे के तुरंत बाद मौके पर पहुंचकर हालात का जायज़ा लिया और अधिकारियों को साफ निर्देश दिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए मजबूत और व्यावहारिक व्यवस्था जरूरी है। इसी के तहत अब राज्य सरकार एक व्यापक मास्टर प्लान तैयार कर रही है, जिससे तीर्थ यात्रा को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाया जा सके।

प्रशासनिक आदेश: अब हर तीर्थ स्थल की बनेगी सुरक्षा और सुविधा की रूपरेखा

प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने सचिव पर्यटन को निर्देश दिए हैं कि तीर्थ स्थलों पर भीड़ नियंत्रण, प्रवेश और निकासी की बेहतर व्यवस्था, और अन्य बुनियादी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द मास्टर प्लान तैयार किया जाए। खासतौर से ऐसे धार्मिक स्थल जहां सालभर में भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, उन्हें इस योजना में प्राथमिकता दी जाएगी।

इसके लिए कुमाऊं और गढ़वाल के मंडलायुक्तों को भी निर्देशित किया गया है कि वे योजना के निर्माण और क्रियान्वयन में सक्रिय सहयोग दें। साथ ही, तीर्थ स्थलों के आसपास यदि किसी तरह का अवैध अतिक्रमण है तो उसे जल्द हटाने के निर्देश दिए गए हैं ताकि यात्री मार्गों को सुरक्षित और सुगम बनाया जा सके।

जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश

मुख्यमंत्री धामी ने यह भी स्पष्ट किया है कि तीर्थ यात्रा केवल आध्यात्मिक अनुभव नहीं, बल्कि एक बड़ी सामाजिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी भी है। उत्तराखंड में हर साल करोड़ों श्रद्धालु आते हैं और यह राज्य की पहचान और अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है। इसलिए अब तीर्थ स्थलों के आसपास जनसुविधाओं का विस्तार, यात्री मार्गों का सुधार, और सुरक्षा उपायों को तकनीकी दृष्टि से मजबूत करने की योजना है।

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