
Up Kiran, Digital Desk: पौराणिक कथाओं के अनुसार, सुरसा नागों की माता थीं और देवताओं द्वारा भेजी गई थीं ताकि वे हनुमान जी की परीक्षा ले सकें। जैसे ही हनुमान जी समुद्र पार करने के लिए विशाल रूप धारण कर आगे बढ़े, सुरसा भी अपने विकराल रूप में उनके सामने प्रकट हुईं और उन्हें रोकने का प्रयास किया। उन्होंने हनुमान जी से कहा कि आज देवताओं ने उन्हें भोजन के लिए भेजा है। यह हनुमान जी की परीक्षा थी कि वे अपनी शक्ति, बुद्धि और प्रभु कार्य के प्रति अपनी निष्ठा का प्रदर्शन कैसे करते हैं।
हनुमान जी की अद्भुत चतुराई और लीला
इस दिव्य परीक्षा का सामना करते हुए, हनुमान जी ने अपनी बुद्धि और चालाकी का ऐसा परिचय दिया जिसने देवों को भी चकित कर दिया। जब सुरसा ने अपना मुख बहुत बड़ा किया, तो हनुमान जी ने भी अपने शरीर का आकार दोगुना कर लिया। जब सुरसा ने सौ योजन (लगभग 800 किलोमीटर) तक अपना मुख फैलाया, तब हनुमान जी अत्यंत सूक्ष्म (छोटे) रूप में परिवर्तित हो गए और उनके मुख में प्रवेश करके तुरंत बाहर निकल आए। इस प्रकार, उन्होंने सुरसा की शर्त को पूरा किया, जो यह थी कि जो उनके मुख में प्रवेश कर जाएगा, वह उन्हें खा नहीं सकेगी। हनुमान जी ने चतुराई से सुरसा के मुख में प्रवेश किया और तुरंत बाहर आकर उन्हें प्रणाम किया।
सुरसा का आशीर्वाद और हनुमान जी की आगे की यात्रा
हनुमान जी की इस लीला और बुद्धिमत्ता से प्रसन्न होकर सुरसा ने उन्हें आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हनुमान जी ने उनके मुख में प्रवेश करके स्वयं को बचाया, उसी प्रकार वे प्रभु श्री राम के कार्य में भी सफल होंगे और कभी किसी बाधा से रुकेंगे नहीं। सुरसा ने हनुमान जी के बल, बुद्धि और विवेक की प्रशंसा की और उन्हें आगे बढ़ने की अनुमति दी। यह प्रसंग दर्शाता है कि कैसे हनुमान जी ने किसी भी चुनौती का सामना केवल बल से नहीं, बल्कि बुद्धि, चतुराई और विनम्रता से किया।
सुंदरकांड का महत्व और हनुमान जी की भूमिका
सुंदरकांड, रामायण का वह महत्वपूर्ण खंड है जो पूरी तरह से हनुमान जी के पराक्रम, भक्ति और उनकी लंका यात्रा को समर्पित है। इस खंड में हनुमान जी का चरित्र अपने चरम पर दिखाई देता है। लंका जाते समय सुरसा से भेंट, समुद्र पार करते समय आने वाली अन्य बाधाएं, लंकिनी का सामना, सीता जी की खोज, अशोक वाटिका में उनसे भेंट, रावण के दरबार में उनकी उपस्थिति, लंका दहन और अंत में श्री राम के पास लौटकर सीता जी की कुशलक्षेम बताना - यह सब हनुमान जी की अद्भुत यात्रा का हिस्सा है।
--Advertisement--