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डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिकी सरकार ने विदेशी छात्रों पर अपनी कार्रवाई जारी रखी है और यह बात सामने आई है कि बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी इसमें फंस गए हैं। इस कार्रवाई से भारतीय छात्रों में चिंता का माहौल पैदा हो गया है।

अमेरिकन इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन (एआईएलए) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वीजा रद्द किये जाने के 327 मामलों में से लगभग आधे या 50 प्रतिशत भारतीय छात्रों के हैं।

चीनी छात्र 14 प्रतिशत के साथ भारतीय छात्रों के बाद दूसरे स्थान पर हैं। इसके अलावा दक्षिण कोरिया, नेपाल और बांग्लादेश के छात्रों के नाम भी सूची में हैं। इससे इन छात्रों के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।

अमेरिकी सरकार ने 20 जनवरी 2025 तक 4,700 से अधिक विदेशी छात्रों के वीजा और शिक्षा रिकॉर्ड रद्द कर दिए हैं। हालांकि इसके लिए सिर्फ एआई की मदद ली गई है।

कई मामलों में तो बिना किसी आपराधिक पृष्ठभूमि के भी छात्र फंस रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने संयुक्त राज्य अमेरिका में पढ़ रहे कई छात्रों को संदेश भेजे हैं। भारत सरकार इस बारे में सतर्क है और छात्रों की मदद कर रही है।

कानून तोड़ते हैं, तो परिणाम भुगतने होंगे- अमेरिका

अमेरिकी विदेश विभाग ने चेतावनी दी है कि जो छात्र अमेरिकी कानून का उल्लंघन करेंगे, उन्हें निर्वासन सहित अन्य परिणाम भुगतने होंगे। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मार्गरेट मैकलियोड ने यह चेतावनी दी। यदि आप कानून का पालन करेंगे तो आपको अवसर उपलब्ध कराये जायेंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि कानून का उल्लंघन करने वालों को परिणाम भुगतने होंगे। इससे भारतीय छात्रों के लिए निर्वासन का खतरा पैदा हो गया है।

किस देश में कितने भारतीय छात्र हैं?

कनाडा - 427,000

अमेरिका - 3,37,630

ब्रिटेन - 185,000

ऑस्ट्रेलिया - 1,22,202

जर्मनी - 42,997

300 से अधिक वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं और कैच एंड सेंड बैक योजना के तहत एआई तकनीक का उपयोग करके छात्रों के सोशल मीडिया पर नजर रखी जा रही है। 50% छात्र OPT पर थे। ओपीटी पर अध्ययनरत भारतीय छात्रों को काम करते समय ही बाहर निकाल दिया जा रहा है, जिससे उनका करियर, नौकरी और घर बसाने की संभावनाएं खतरे में पड़ रही हैं। इस कार्रवाई को लेकर कई कानूनी सवाल उठ रहे हैं और इस पर कानूनी लड़ाई भी लड़ी जा रही है।