
Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका, भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर 'करीबी नजर' रख रहा है। अमेरिकी विदेश सचिव मार्को रुबियो ने रविवार देर शाम यह जानकारी देते हुए कहा कि वाशिंगटन दक्षिण एशियाई घटनाओं पर "हर दिन" नजर रखता है। उन्होंने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की जवाबी 'ऑपरेशन सिंदूर' सर्जिकल स्ट्राइक के बाद तनाव कम करने के अमेरिकी प्रयासों पर भी प्रकाश डाला।
शांति दलाली के दावों पर भारत का कड़ा रुख
यह बयान ऐसे समय में आया है जब नई दिल्ली ने एक बार फिर व्हाइट हाउस के उन दावों को खारिज कर दिया है, जिनमें वह दोनों परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच शांति स्थापित करने का श्रेय ले रहा था। रुबियो ने कहा कि 'युद्ध विराम नाजुक होते हैं' और 'संघर्ष विराम जल्दी बिखर सकते हैं', खासकर यूक्रेन में चल रहे युद्ध जैसे लंबे समय से चले आ रहे संघर्षों के बाद। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बाइडेन प्रशासन ने 'शांति को प्राथमिकता' दी है।
ट्रंप का दावा, पाकिस्तान का समर्थन, और भारत का सीधा जवाब
यह ध्यान देने योग्य है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए युद्धविराम को बातचीत कर सुलझाने का श्रेय लिया है, और दावा किया है कि वाशिंगटन ने 'परमाणु युद्ध को टालने' के लिए हस्तक्षेप किया था। जहां नई दिल्ली ने इस दावे को दृढ़ता से अस्वीकार किया है, वहीं इस्लामाबाद ने इस नैरेटिव का समर्थन किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद को बताया था कि भारत की सैन्य कार्रवाई 'पूरी तरह से हमारा अपना निर्णय' थी। उन्होंने कहा, "हमने पहले दिन से ही कहा था कि हमारी कार्रवाई गैर-बढ़ाने वाली (non-escalatory) थी। दुनिया के किसी भी नेता ने हमसे रुकने के लिए नहीं कहा।"
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी पहले स्पष्ट किया है कि भारत के निर्णय स्वतंत्र थे और उनका 'व्यापार से कोई लेना-देना नहीं' था। यह स्पष्ट करता है कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक निर्णयों को किसी बाहरी प्रभाव से स्वतंत्र मानता है।