
Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका जाकर बसने का सपना देखने वाले लाखों भारतीयों के लिए एक निराशाजनक खबर सामने आई है। अमेरिकी सरकार द्वारा हर साल चलाए जाने वाले डायवर्सिटी वीजा (DV) प्रोग्राम, जिसे आम भाषा में 'ग्रीन कार्ड लॉटरी' भी कहा जाता है, उससे भारत को एक बार फिर बाहर रखा गया है। साल 2026 के लिए जारी की गई सूची में भारत का नाम शामिल नहीं है, और ऐसा पिछले कई सालों से लगातार हो रहा है।
क्या है यह ग्रीन कार्ड लॉटरी: ग्रीन कार्ड लॉटरी या डायवर्सिटी वीजा प्रोग्राम, अमेरिकी सरकार का एक तरीका है जिसके तहत वह उन देशों के नागरिकों को अमेरिका में बसने का मौका देती है, जहां से पिछले पांच सालों में बहुत कम लोग अमेरिका आए हैं। इस लॉटरी के जरिए हर साल लगभग 55,000 लोगों को अमेरिका का स्थायी निवासी (ग्रीन कार्ड होल्डर) बनने का मौका मिलता है।
भारत इस लिस्ट में क्यों नहीं है: इस लॉटरी का एक सीधा सा नियम है: जिन देशों से पिछले पांच सालों में 50,000 से ज्यादा प्रवासी कानूनी तौर पर अमेरिका आ चुके हैं, उन देशों के नागरिकों को इस प्रोग्राम में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं होती।
क्योंकि भारत से हर साल पढ़ाई, नौकरी (खासकर H-1B वीजा पर) और अन्य कानूनी तरीकों से हजारों लोग अमेरिका जाते हैं, यह संख्या 50,000 की सीमा को आसानी से पार कर जाती है। यही कारण है कि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन, कनाडा और ब्रिटेन जैसे कई अन्य देशों को इस लॉटरी से बाहर रखा गया है।
इसका भारतीयों पर क्या असर होगा: जो भारतीय परिवार या व्यक्ति इस लॉटरी के जरिए अमेरिका में बसने की उम्मीद लगाए बैठे थे, उनके लिए यह रास्ता फिलहाल बंद है। उन्हें अमेरिका में स्थायी निवास पाने के लिए दूसरे कानूनी तरीकों, जैसे कि रोजगार-आधारित या परिवार-आधारित वीजा, पर ही निर्भर रहना होगा, जिनमें अक्सर सालों या दशकों का इंतजार करना पड़ता है।
यह खबर उन लाखों भारतीयों की लंबी और कठिन यात्रा को दर्शाती है जो 'अमेरिकन ड्रीम' को पूरा करने के लिए कानूनी रास्तों से प्रयास कर रहे हैं।