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Up Kiran, Digital Desk: तीन वर्षों से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध में अब एक ऐसा मोड़ आ गया है, जो न केवल युद्ध के संतुलन को बदल सकता है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा चिंताओं को भी गहरा कर सकता है। अमेरिका की ओर से अचानक हथियारों की आपूर्ति रोकने और उत्तर कोरिया द्वारा रूस को और सैनिक भेजने की खबरों ने यूक्रेन के लिए हालात और भी गंभीर कर दिए हैं।
अमेरिकी फैसला: रणनीतिक बदलाव या संसाधनों की किल्लत?
अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में अपने गोदामों में हथियारों की कमी को ध्यान में रखते हुए यूक्रेन को सैन्य सहायता अस्थायी रूप से रोकने का निर्णय लिया है। इस फैसले का असर खास तौर पर एयर डिफेंस से जुड़ी तकनीकों पर पड़ा है — जिनमें पेट्रियट मिसाइल, स्टिंगर सिस्टम्स, हेलफायर मिसाइलें और एफ-16 से छोड़ी जाने वाली AIM मिसाइलें शामिल हैं।
इस कदम से जहां वॉशिंगटन ने अपनी घरेलू सुरक्षा जरूरतों को प्राथमिकता देने की बात कही है, वहीं क्रेमलिन में इस पर राहत की सांस ली गई है। रूस के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने इसे युद्ध को समाप्ति की ओर ले जाने वाला कदम बताया है।
युद्ध की जमीनी सच्चाई: यूक्रेनी मोर्चे पर संकट
दूसरी ओर, यूक्रेन के लिए यह निर्णय एक और बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है। पिछले महीने रूस ने रिकॉर्ड 5,337 ड्रोन हमले किए, जो अब तक का सबसे तीव्र हवाई हमला माना जा रहा है। ऐसे में अमेरिकी समर्थन में आई यह रुकावट यूक्रेनी सुरक्षा ढांचे को कमजोर कर सकती है।
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि उनकी सरकार अमेरिकी नेतृत्व से लगातार संवाद कर रही है, क्योंकि वायु रक्षा प्रणाली की तत्काल जरूरत है।
उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती: एक नया मोर्चा
यूक्रेन को झटका सिर्फ अमेरिका से नहीं मिला है। उत्तर कोरिया द्वारा रूस को 30,000 नए सैनिक भेजने की योजना की रिपोर्टों ने पश्चिमी जगत की चिंता और बढ़ा दी है। यह संख्या पिछले साल भेजे गए सैनिकों से तीन गुना अधिक है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, ये सैनिक यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों में सीधे सैन्य अभियानों में शामिल होंगे।
इससे युद्ध में एक नई अंतरराष्ट्रीय परत जुड़ती दिख रही है, जहां रूस को अब न केवल कूटनीतिक बल्कि सैन्य स्तर पर भी अन्य देशों से प्रत्यक्ष समर्थन मिल रहा है।
वैश्विक प्रभाव और आगे की राह
अमेरिका की सैन्य प्राथमिकताओं में यह बदलाव केवल एक रणनीतिक कदम नहीं, बल्कि वैश्विक हथियार संतुलन और सुरक्षा गठबंधनों को प्रभावित कर सकता है। एक ओर अमेरिका घरेलू दबावों के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर रूस इन परिस्थितियों का लाभ उठाकर युद्ध में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।
इसके अलावा, उत्तर कोरिया जैसे देशों की सक्रिय भागीदारी से यह संघर्ष अब सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं रहा। यह धीरे-धीरे एक बहु-पक्षीय संघर्ष का रूप ले रहा है, जिसमें हर नई सैन्य साझेदारी युद्ध की दिशा बदलने की क्षमता रखती है।
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