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Up Kiran, Digital Desk: भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र के लिए एक चिंताजनक खबर है। अमेरिका ने 1 अगस्त से भारत से आयातित सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क और अतिरिक्त अस्थायी दंड लगाने की घोषणा की है। इस फैसले का भारत की iPhone विनिर्माण योजनाओं और समग्र इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। गौरतलब है कि अमेरिका के इस फैसले को ऐसे समय में एक बड़ा झटका माना जा रहा है जब भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र पहले से ही चीन द्वारा प्रमुख कलपुर्जों, मशीनरी और तकनीकी पेशेवरों को रोकने के कारण संघर्ष कर रहा है।
Apple की 'मेक इन इंडिया' योजना पर प्रभाव
IDC इंडिया के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट नवकेंद्र सिंह के अनुसार, ये टैरिफ भारत को iPhone निर्यात केंद्र बनाने की Apple की रणनीति के लिए एक बड़ा झटका होंगे। उन्होंने कहा कि Apple की कुल iPhone बिक्री का लगभग 25%, यानी सालाना लगभग 6 करोड़ यूनिट, अमेरिका में बेचे जाते हैं। इस मांग को पूरा करने के लिए भारत में विनिर्माण क्षमता बढ़ाना आवश्यक था, लेकिन नए टैरिफ अब इस योजना को मुश्किल बना सकते हैं।
Apple की योजना 2025-26 तक भारत में iPhone का उत्पादन 3.5-4 करोड़ यूनिट से बढ़ाकर 6 करोड़ यूनिट करने की है। अप्रैल-जून तिमाही में अमेरिका में बेचे गए सभी iPhone भारत में असेंबल किए गए थे और तमिलनाडु स्थित फॉक्सकॉन के कारखाने से भेजे गए थे। नए टैरिफ इन प्रयासों में बाधा डाल सकते हैं।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं
ऊँची कीमतों का सीधा असर भारत के iPhone निर्यात पर पड़ेगा। इससे अमेरिकी बाज़ार में माँग कम हो सकती है और Apple को अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का पुनर्गठन करना पड़ सकता है। अमेरिका मौजूदा 10% टैरिफ के ऊपर 15% अतिरिक्त टैरिफ लगा सकता है, जिससे कुल टैरिफ 25% हो जाएगा। इससे न केवल मोबाइल फ़ोन, बल्कि दूरसंचार, ऑटो और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का निर्यात भी प्रभावित होगा।
चीन पर निर्भरता अभी भी एक बड़ी चुनौती
कच्चे माल की आपूर्ति और तकनीक पर चीन के प्रतिबंधों ने भारत की विनिर्माण प्रक्रियाओं को सीधे प्रभावित किया है। जब तक आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोत विकसित नहीं किए जाते, यह संकट जारी रहेगा और उत्पादन लागत बढ़ती रहेगी। सेमी इंडिया के अध्यक्ष अशोक चांडक ने कहा कि अगर अमेरिका द्वारा लगाया गया यह कर स्थायी हो जाता है, तो भारत अन्य एशियाई देशों की तुलना में प्रतिस्पर्धात्मक रूप से नुकसान में रह सकता है।
उन्होंने सलाह दी कि भारत को अब अमेरिका पर अत्यधिक निर्भर रहना बंद कर देना चाहिए। इसके बजाय, उसे भविष्य में ऐसे टैरिफ संकटों से बचने के लिए नए निर्यात बाजार खोजने, स्वदेशी ब्रांडों को बढ़ावा देने और मूल्य श्रृंखला का विस्तार करने पर काम करना चाहिए। यह फैसला भारत के 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियानों के लिए एक बड़ी परीक्षा हो सकता है।
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