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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पार्टी की उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार चयन पर एक ज़ोरदार हमला बोला है। शाह का कहना है कि कांग्रेस पार्टी द्वारा जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना एक ऐसी गलती थी, जिसने केरल विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

शाह का कांग्रेस पर हमला: 'उम्मीदवारी का फैसला महंगा पड़ा'

अमित शाह ने इस बात पर हैरानी जताते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर जस्टिस सुदर्शन रेड्डी का चयन कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से गल साबित हुआ। उनका दावा है कि इस फैसले से कांग्रेस ने न केवल उपराष्ट्रपति चुनाव में अपनी स्थिति को कमज़ोर किया, बल्कि इसका सीधा असर केरल जैसे महत्वपूर्ण राज्य के विधानसभा चुनावों पर भी पड़ा, जहाँ पार्टी ने अपनी जीत का अवसर खो दिया।

शाह के अनुसार, कांग्रेस ने यह कदम ऐसे समय में उठाया जब उन्हें 'INDIA' गठबंधन के भीतर अपनी स्थिति मज़बूत करनी चाहिए थी, लेकिन इसके विपरीत, उन्होंने एक ऐसा उम्मीदवार चुना जो शायद राजनीतिक तौर पर इतना मज़बूत नहीं था, और जिसका सीधा खामियाज़ा उन्हें केरल जैसे राज्यों में भुगतना पड़ा।

जस्टिस सुदर्शन रेड्डी: कौन हैं और क्यों हुआ विवाद?

जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी, जो एक पूर्व न्यायाधीश रह चुके हैं, को विपक्षी गठबंधन 'INDIA' ने एनडीए के उम्मीदवार के मुकाबले अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाया था। विपक्षी नेताओं ने उनकी उम्मीदवारी का स्वागत करते हुए कहा था कि वे संविधान के प्रति अपनी निष्ठा के लिए जाने जाते हैं।

हालांकि, अमित शाह के बयान से यह साफ़ है कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर राजनीति गरमा गई है। शाह का यह कहना कि इस उम्मीदवारी का केरल चुनावों से कनेक्शन है, राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। यह दिखाता है कि कैसे एक राष्ट्रीय स्तर का चुनाव भी राज्यों की राजनीति को प्रभावित करने का एक ज़रिया बन जाता है।

यह बयान कांग्रेस के उपराष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार चयन पर चल रही बहस को और हवा देता है, और यह भी दिखाता है कि कैसे पार्टियां एक-दूसरे के फैसलों को अपने पक्ष में भुनाने या दूसरे पर निशाना साधने की कोशिश करती हैं।

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