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Up Kiran, Digital Desk: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया, जो प्रधानमंत्री (PM) और मुख्यमंत्री (CM) जैसे निर्वाचित प्रतिनिधियों की गिरफ्तारी (arrest) और पद से हटाए जाने (removal from post) से संबंधित नियमों को बदलने का प्रस्ताव रखता है। इस विधेयक के अनुसार, यदि कोई प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री एक महीने (a month) की अवधि के लिए गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे पद से हटा दिया जाएगा।

क्या है यह बिल और इसका उद्देश्य?

यह विधेयक जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) में संशोधन का प्रस्ताव करता है। इसका उद्देश्य जवाबदेही (accountability) बढ़ाना और यह सुनिश्चित करना है कि यदि कोई उच्च पदस्थ निर्वाचित प्रतिनिधि गंभीर कानूनी आरोपों में गिरफ्तार हो जाता है, तो वह उस पद पर बना न रहे। यह कदम भ्रष्टाचार (corruption) और कानून के उल्लंघन (violation of law) के मामलों में निर्वाचित अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।

विधेयक के मुख्य बिंदु:

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पर लागू: यह विधेयक न केवल प्रधानमंत्री, बल्कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर भी लागू होगा।

30 दिन की गिरफ्तारी: यदि कोई प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री किसी भी अपराध के लिए 30 दिनों से अधिक समय तक हिरासत (custody) में रहता है, तो उसे पद से हटा दिया जाएगा।

संसद की मंजूरी: विधेयक को कानून बनने से पहले लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पारित होना होगा और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी होगी।

विपक्ष की प्रतिक्रिया और बहस की संभावना:

हालांकि विधेयक के विवरण अभी पूरी तरह से सामने नहीं आए हैं, लेकिन इसके पेश होने के साथ ही लोकसभा में बहस (debate) और राजनीतिक सरगर्मी (political stir) बढ़ने की उम्मीद है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि विपक्ष इस विधेयक पर कैसी प्रतिक्रिया देता है और इसके क्या निहितार्थ होंगे। ऐसे प्रावधानों का उद्देश्य शासन में पारदर्शिता (transparency in governance) और जवाबदेही (accountability) सुनिश्चित करना है, लेकिन यह देखना बाकी है कि यह विधेयक विधायी प्रक्रिया में कैसे आगे बढ़ता है।

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