_1061773963.png)
Up Kiran, Digital Desk: पशु अधिकारों के लिए काम करने वाला संगठन PETA इंडिया एक बार फिर सुर्खियों में है मगर इस बार कारण प्रशंसा नहीं बल्कि व्यापक आलोचना है। शाकाहार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किए गए एक नए अभियान में इस्तेमाल किए गए विवादास्पद पोस्टर ने इंटरनेट पर बहस छेड़ दी है।
पोस्टर में एक महिला को कुत्ते का दूध पीते हुए दिखाया गया है और साथ में संदेश है कि यदि आप कुत्तों का दूध नहीं पीते तो किसी और प्रजाति का दूध क्यों पीते हैं? कृपया शाकाहारी भोजन आज़माएं। ये तस्वीर PETA इंडिया के इंस्टाग्राम हैंडल से साझा की गई जहां इसे देखने के बाद लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं।
बिल्कुल बेहूदा प्रचार
हालाँकि PETA का उद्देश्य डेयरी उद्योग की क्रूरता की ओर ध्यान आकर्षित करना था मगर सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में उपयोगकर्ताओं ने इस चित्र को 'घृणित' 'बचकाना' और 'असंवेदनशील' बताया। कई लोगों का मानना था कि इस प्रकार का चित्रण उद्देश्य की गंभीरता को हल्के में लेता है और शाकाहार के विचार को कमजोर करता है।
एक यूज़र ने टिप्पणी की "शाकाहार को बढ़ावा देने के कई बेहतर और तर्कसंगत तरीके हैं। कुत्ते के दूध की छवि ना सिर्फ भ्रमित करती है बल्कि हास्यास्पद भी लगती है।"
वहीं एक अन्य व्यक्ति ने लिखा "आपको गाय के दूध से आपत्ति है मगर कुत्ते के दूध का प्रचार कर रहे हैं? फिर पिल्लों को क्या मिलेगा?"
संदेश नहीं तरीका विवादास्पद
PETA का तर्क है कि उनका अभियान डेयरी उद्योग में गायों के साथ की जाने वाली अमानवीय प्रक्रियाओं को उजागर करने की कोशिश है — जैसे बार-बार जबरन गर्भवती करना बछड़ों को जन्म के तुरंत बाद अलग कर देना और फिर दूध को इंसानों के लिए लेना।
कुछ समर्थकों ने PETA के विचार को सही ठहराते हुए कहा कि "यदि ये विज्ञापन आपको असहज करता है तो ये उस असहज सच्चाई की ओर संकेत करता है जिसे समाज ने सामान्य बना दिया है।"
बिलबोर्ड्स और बहस
इस अभियान के पोस्टर मुंबई बेंगलुरु नोएडा अहमदाबाद चेन्नई और भोपाल जैसे बड़े शहरों में लगाए गए हैं। हालांकि जनभावनाओं को देखते हुए इन विज्ञापनों को लेकर स्थानीय प्रशासन और नागरिक समूहों से भी आपत्तियाँ आने लगी हैं।
--Advertisement--