
Up Kiran, Digital Desk: नवाजुद्दीन सिद्दीकी, हिंदी सिनेमा और ओटीटी की दुनिया का वो नायाब हीरा हैं जिन्होंने अपनी दमदार अदाकारी से हर किसी का दिल जीता है। फीचर फिल्म 'पतंग' (2012) से अपने करियर को एक नई दिशा देने वाले नवाज ने निर्देशक प्रशांत भार्गव के साथ शुरुआत की थी। लेकिन यह निर्देशक अनुराग कश्यप ही थे, जिनके साथ 'ब्लैक फ्राइडे' (2007), 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' (2012), और 'रमन राघव 2.0' (2016) जैसी फिल्मों ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। 'द लंचबॉक्स' और 'मंटो' जैसी फिल्मों में उनके किरदारों को भला कौन भूल सकता है।
हाल ही में, उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें जाने-माने निर्देशक अनुराग कश्यप, नवाज की बातें सुनकर अपने आंसू नहीं रोक पाए। यह भावुक पल एक अवॉर्ड समारोह के दौरान देखने को मिला, संभवतः उनकी किसी हालिया फिल्म या उपलब्धि के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में।
नवाजुद्दीन की बात सुन भर आईं अनुराग कश्यप की आंखें
इस वायरल वीडियो में नवाजुद्दीन कहते दिख रहे हैं, "मैं थोड़ा घबरा रहा हूं, इसलिए यह पेज लेकर आया हूं... मैं बहुत खुश हूं कि मुझे यह अवॉर्ड पहली बार अपने देश में मिल रहा है।" इसके बाद उन्होंने आयोजकों को धन्यवाद दिया और फिर एक ऐसे शख्स का जिक्र किया जिसने उनकी जिंदगी बदल दी। नवाज ने कहा, "एक और नाम है जिन्होंने मेरी जिंदगी बदल दी, मेरे संघर्ष को सफलता में बदला। वह मेरे सामने बैठे हैं... जी हां, आप सही सोच रहे हैं, मैं 'जीके' (GK) यानी 'जीनियस कश्यप' (Genius Kashyap) की बात कर रहा हूं। शुक्रिया सर!" नवाज के ये दिल छू लेने वाले शब्द सुनकर अनुराग कश्यप बेहद भावुक हो गए और उनकी आंखें नम हो गईं।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का संघर्ष और हिट फिल्मी करियर
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का फिल्मी सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है। उन्होंने 1999 में आमिर खान की फिल्म 'सरफरोश' में एक छोटी सी भूमिका से बॉलीवुड में कदम रखा था। इसके बाद वे राम गोपाल वर्मा की 'शूल' (1999) और 'जंगल' (2000) के साथ-साथ राजकुमार हिरानी की 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' (2003) जैसी फिल्मों में छोटे-छोटे किरदारों में नजर आए। शुरुआती दिनों में उन्हें कड़ा आर्थिक संघर्ष करना पड़ा, कई बार तो उनके पास किराया देने और खाने तक के पैसे नहीं होते थे।
साल 2012 में, प्रशांत भार्गव की फिल्म 'पतंग: द काइट' में अभिनय करने के बाद उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान मिली। इस फिल्म का प्रीमियर बर्लिन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और ट्रिबेका फिल्म फेस्टिवल में हुआ था। लेकिन यह अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' थी जिसने उन्हें दुनिया भर में मशहूर कर दिया और उनकी किस्मत का सितारा चमका दिया।
इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे आमिर खान की 'तलाश' (2012) में महत्वपूर्ण भूमिका में दिखे। 2014 में, ब्लॉकबस्टर फिल्म 'किक' में उन्होंने मुख्य विलेन की भूमिका निभाकर सबको चौंका दिया। 2015 में उनकी 'बजरंगी भाईजान' और 'मांझी - द माउंटेन मैन' जैसी फिल्में रिलीज हुईं, जिन्होंने उनकी अभिनय क्षमता का लोहा मनवाया।
नवाजुद्दीन को उनके शानदार अभिनय के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है, जिसमें 2012 के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में विशेष जूरी पुरस्कार और 2013 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी उन्हें 2016 में स्पेन में फैन्सिन मलागा पुरस्कार और 2018 में एशिया पैसिफिक स्क्रीन अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला।
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