Up Kiran, Digital Desk: हम सब आज एक डिजिटल दुनिया में जी रहे हैं। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक, हम Google, WhatsApp, Instagram, और न जाने कितनी ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं। हम इस पर अपनी तस्वीरें, बातें, और यहां तक कि अपनी बैंकिंग डिटेल्स भी शेयर करते हैं। लेकिन क्या हमने कभी एक पल रुककर सोचा है कि हमारा यह सारा कीमती डेटा जाता कहां है?
अक्सर हम एक शब्द सुनते हैं "Cloud" (क्लाउड)। हमें लगता है कि हमारा डेटा हवा में, किसी बादल में सुरक्षित है। लेकिन यह सच का सबसे बड़ा धोखा है।
तो आखिर क्या है यह ‘क्लाउड: यह "क्लाउड" कोई आसमान का बादल नहीं है, बल्कि यह अमेरिका की तीन बड़ी कंपनियों - अमेज़न (Amazon Web Services), माइक्रोसॉफ्ट (Azure), और गूगल (Google Cloud) के विशालकाय, चमचमाते डेटा सेंटर्स का एक जाल है। हमारा और आपका, यानी पूरे भारत का ज्यादातर डिजिटल डेटा इन्हीं विदेशी कंपनियों की तिजोरियों में बंद है।
अब आता है सबसे बड़ा और डरावना सवाल
जब हमारा देश डिजिटल हो रहा है, जब हम "डिजिटल इंडिया" का सपना देख रहे हैं, तो हमें यह मौलिक प्रश्न पूछना ही होगा: भारत के क्लाउड का असली मालिक कौन है? (Who owns India's cloud?)
यह सवाल सिर्फ टेक्नोलॉजी का नहीं है, बल्कि यह हमारी "डिजिटल संप्रभुता" (Digital Sovereignty) यानी हमारी डिजिटल आजादी से जुड़ा है। इसे ऐसे समझिए:
क्या हमारा डेटा सच में हमारा है? अगर हमारा सबसे कीमती खजाना (डेटा) किसी दूसरे देश की कंपनी के सर्वर पर रखा है, तो क्या उस पर हमारा पूरा नियंत्रण है?
क्या यह एक नई तरह की 'डिजिटल गुलामी' है? जैसे पहले देश जमीन और संसाधनों पर कब्ज़ा करते थे, क्या आज ये बड़ी कंपनियां हमारे 'डेटा' पर कब्ज़ा करके हमें नियंत्रित कर रही हैं?
कल को क्या होगा? अगर कल को भारत और अमेरिका के बीच कोई बड़ा विवाद हो जाए, और अमेरिकी सरकार इन कंपनियों को हमारा डेटा देने का आदेश दे दे, तो क्या होगा? क्या हमारी पूरी डिजिटल अर्थव्यवस्था एक झटके में ठप नहीं हो जाएगी?
यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है, यह हमारे "डिजिटल लोकतंत्र" (Digital Democracy) के अस्तित्व का सवाल है। एक लोकतंत्र तभी तक मजबूत है जब तक उसके नागरिकों और उनकी सूचनाओं पर उसका अपना नियंत्रण हो। जब नियंत्रण किसी और देश की कंपनियों के हाथ में चला जाता है, तो लोकतंत्र की नींव कमजोर पड़ने लगती है।
हमें जल्द से जल्द अपने 'देसी क्लाउड' बनाने और डेटा को भारत की सीमाओं के अंदर ही सुरक्षित रखने के लिए कड़े कानून बनाने की जरूरत है। क्योंकि जो देश अपने डेटा का मालिक नहीं, वह भविष्य में कभी आत्मनिर्भर नहीं बन सकता।
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