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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश की सियासत एक बार फिर बयानबाजी के गर्म माहौल में उलझ गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव की ओर से सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को लेकर दिए गए एक तंज भरे बयान ने राजनीतिक हलचल को तेज कर दिया है। हालांकि इस बार मुद्दा राजनीतिक गठजोड़ से ज्यादा व्यक्तिगत गरिमा और सामाजिक मूल्यों पर केंद्रित हो गया है।
सपा की सोच पर उठे सवाल
सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव और ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर ने अखिलेश यादव की टिप्पणी को खारिज करते हुए जोरदार प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनके पिता के पास भले ही बड़ी पूंजी न हो, लेकिन वह ईमानदारी और जनता की सेवा की नीयत से काम करते हैं। अरुण ने यह भी जोड़ा कि जब भी समाजवादी पार्टी संकट में होगी, उनके पिता अपने खेत की उपज से मदद देने में पीछे नहीं हटेंगे।
पैसे की राजनीति या मूल्य आधारित सेवा?
अरुण राजभर का आरोप है कि समाजवादी पार्टी को केवल धन की अहमियत नजर आती है। उनके अनुसार, सपा सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार और पैसे की बंदरबांट आम बात थी, और इसी सोच के कारण वे आज भी रिश्तों को पैसों के तराजू पर तौलते हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि सत्ता से बाहर होने के साढ़े आठ साल बाद अब ₹100 जैसी छोटी बातों पर टिप्पणी की जा रही है, जबकि सत्ता में रहते वक्त करोड़ों-अरबों की बातें होती थीं।
"जनता की पाई-पाई का हिसाब लिया जाएगा"
अरुण ने इस बात पर भी तंज कसा कि जब सत्ता में थे तो राजशाही ठाठ थे, लेकिन अब जब जनता का पैसा हाथ से निकल गया है, तो जवाबदेही की बारी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब वो लोग भी पाई-पाई का हिसाब देंगे, जो पहले जनता की गाढ़ी कमाई से ऐश करते थे।